फर्रुखाबाद: तहसील दिवस आयोजनों की शुचिता पर प्रश्न चिन्ह लगा रही तहसीलदार सदर की कार्यप्रणाली का एक नमूना यहां प्रस्तुत है। विगत तीन अक्टूबर को तहसील सदर में आयोजित तहसील दिवस पर कुल 14 आवेदन प्राप्त हुए थे। आनलाइन विवरण के अनुसार इनमें से एक मात्र आवेदन का निस्तारण किया गया। जिस आवेदन का निस्तारण किया गया उसकी हकीकत हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।
यह आवेदन ग्राम दरौरा निवासी रूपलाल ने प्रस्तुत किया था। आवेदन में कहा गया था कि- निवेदन है कि मा0उच्च न्यायालय इलाहाबाद में योजित याचिका सं0 4143409 में पारित आदेश दिनांक 12082009 एवं ए0ओ016138 ऑफ 2010 व 16143 में दिनांक 03072012 को पारित आदेश को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रूखाबाद द्वारा पालन कराकर याची को शिक्षा मित्र पद पर चयन काराने की कृपा करें।
इस आवेदन का निस्तारण तहसीलदार साहब ने तहसील दिवस के दो दिन बाद ही पांच अक्टूबर को कर दिया। अब जरा निस्तारण की आख्या पर भी गौर कर ली जिये। निस्तारण में कहा गया है कि- माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन हेतु सम्बंधित विभाग को प्रस्तुत करना चाहिये न कि तहसीलदार के समक्ष प्रार्थना पत्र पोषणीय नहीं है अत: सम्बंधित अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु प्रार्थी को अवगत करा दिया गया है।
वाह साहब वाह, क्या खूब आवेदक को फुटबाल बनाया। अव्वल तो यदि यही निस्तारण होना था तो, यह काम तो मौके पर भी हो सकता था। मौके पर ही रूपलाल को आवेदन सीधे बीएसए के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा जा सकता था। जिससे वह जनपद के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने ही यही भी बताता कि वह उच्च न्यायालय का आदेश लेकर कितनी बार बेसिक शिक्षा अधिकारी के समक्ष प्रस्ततुत हो चुका है। परंतु ऐसा नहीं किया गया। यह मुर्दा सा जवाब दो दिन बाद दिया गया, जिससे यदि वह इसकी शिकायत भी करना चाहे तो कम से कम 15 दिन बाद अगले तहसील दिवस में ही कर सके। दूसरी बात यह कि संबंधित अधिकारी को सम्पूर्ण संलग्नकों के साथ दिये गये इस आवेदन पर विचार करने से कौन सा शासनादेश या न्यायिक आदेश बाधित कर रहा था। तीसरी बात यह कि यदि बीएसए ने अपनी कार्यप्रणाली के अनुरूप यह आख्या दे भी दी तो तहसीलदार या एसडीएम ने इसे असंतोषजनक मानकर संबंधित अधिकारी को वापस करने के अपने अधिकार का उपयोग क्यों नहीं किया। सवाल तो बहुत हैं, परंतु जवाब तो तब आये जब व्यवस्था से अधिकारियों को अपने पद की पावनता का भान हो।
संभवत: यही कुछ कारण हैं कि, शासन ने तहसीलदार सदर के विरूद्ध कार्यवाही की संस्तुति की है।