भरोसे का टोटा- डीएम के न पहुंचने पर तहसील दिवस में नहीं फटकते फरियादी

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फर्रुखाबाद: अधिकतर अधिकारियों के ऊपर से उठ चुका जनता का भरोसा, इसका एक जीता जागता उदाहरण है। चाहें वह जनता दरबार हो या तहसील दिवस, जिलाधिकारी की मौजूदगी में ही फरियादी प्रार्थनापत्र देने के लिए पहुंचते हैं और डीएम के न पहुंचने पर मामला सस्ते में निबट जाता है। यही हाल तहसील दिवस के कार्यक्रम में भी बुधवार को रहा। जहां पूरे तहसील दिवस कार्यक्रम में महज 14 शिकायतें ही आयीं।

जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी बी के अलावा शायद आम जनता अब किसी पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। अधिकारियों के झूठे वादे और आश्वासनों के चलते आम जनता अब त्रस्त आ चुकी है। अनायास ही लोग कहने लगे कि प्रार्थनापत्र देने से भी क्या फायदा, नतीजा ढाक के तीन पात ही रहना है। बुधवार को आयोजित किये गये तहसील दिवस में आम जनता पैर फूंक फूंक कर पहुंची। कइयों के तो फोन भी बजे कि डीएम आये हैं या नहीं। जिस बजह से लोग उनके न आने पर निराश दिखे और अपने प्रार्थनापत्र लेकर बैरंग यह कहकर लौट गये कि ये प्रार्थनापत्र डीएम को ही देंगे। तहसील दिवस में एडीएम कमलेश कुमार व सिटी मजिस्ट्रेट मनोज कुमार के साथ पहुंचे और जनता की समस्यायें सुनीं। कुछ समय बाद अधिकारी चले गये। पूरे तहसील दिवस कार्यक्रम में शिकायतों के नाम पर महज 14 शिकायतें ही दर्ज की गयीं। कइयों को तो बगैर शिकायत दर्ज किये ही टरका दिया गया। मामला कुछ भी हो लेकिन अब तहसील दिवस से भी लोगों का विश्वास खत्म होता जा रहा है। एक समय था जब आदमी एक दूसरे को तहसील दिवस के नाम पर धमकी दिया करता था कि वह तहसील दिवस में प्रार्थनापत्र देकर उस पर कार्यवाही करवा देगा। वह आम जनता का विश्वास अब शिथिल पड़ चुकी तहसील दिवस की कार्यप्रणाली से कम हो रहा है। बुधवार को पूरे तहसील दिवस में शिकायतें कम लेकर पहुंचे लोगों की बजह से अधिकारी मजे मारते रहे। शिकायतें कम पहुंचने का मतलब यह नहीं कि आम जनता की समस्याओं का निराकरण हो गया है। कारण तो कुछ और ही है। पिछले महीनों में दर्ज की गयीं शिकायतों में कितनों पर कार्यवाही हुई यह जबाव किसी के पास नहीं है।