फर्रुखाबाद: जनपद में सरकारी योजनाओं की खुलेआम धज्जियां उड़ाईं जा रहीं हैं। अधिकारियों से लेकर कर्मचारी तक सिर्फ गोलमाल करने की ही जुगाड़ में लग जाते हैं। जिससे योजना शुरू होने से पहले ही धरासाही हो जाती है। जिसका जीता जागता उदाहरण जनपद का शिक्षा विभाग है। जिसमें योजना के शुरू होने से पहले ही गोलमाल शुरू हो जाता है। जनपद के प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में ड्रेस व झोला वितरण कराने के आदेश 27 सितम्बर को ही शासन स्तर से जारी किया गया। लेकिन उच्चाधिकारियों ने शासनादेश तो स्कूलों में भिजवा दिया लेकिन ड्रेस व झोला वितरण के लिए अब तक किसी भी स्कूल के लिए धनराशि उपलब्ध नहीं करायी गयी। जिससे 2 अक्टूबर को होने वाले ड्रेस व झोला वितरण का शासनादेश धरा का धरा रह गया।
शिक्षा विभाग में जनपद में भ्रष्टाचार की हदें पार हो चुकीं हैं। मिड डे मील के नाम पर घपला, सफाईकर्मी के नाम पर घपला, शिक्षकों की तैनाती पोस्टिंग के नाम पर वसूली, शिक्षकों की फर्जी हाजिरी में वसूली, शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षण के लिए नाम चयन में वसूली, अतिरिक्त कक्षा कक्षों के लिए दिये गये ठेकों में कमीशनखोरी से लेकर बच्चों की किताबों, ड्रेस, झोला इत्यादि में जमकर वसूली की गयी और आगामी सत्र के लिए करने की पूरी नींव भी रखी जा रही है।
इसी के तहत शासन स्तर से बेसिक शिक्षा विभाग को शासनादेश जारी किया गया था कि 2 अक्टूबर को पूरे जनपद के विद्यालयों में गरीब बच्चों को ड्रेस व बैग का वितरण हर हालत में हो जाना चाहिए। जिसके लिए अच्छी गुणवत्ता की ड्रेस व बैग खरीदने के लिए प्रत्येक प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल में समिति के द्वारा खरीदे जाने थे। लेकिन 27 सितम्बर से मात्र 4 दिन में पहले तो बैग व ड्रेस बच्चों को उपलब्ध कराना ही असंभव था। उसके लिए जनपद प्रशासन की तरफ से ही स्कूलों के खातों में धनराशि ही नहीं पहुंची। जिससे 2 अक्टूबर को ड्रेस व बैग वितरण का शासनादेश स्कूलों में ही धरा का धरा रह गया।