समुद्र के रास्ते आप तक पहुंचता है इंटरनेट

FARRUKHABAD NEWS FEATURED राष्ट्रीय सामाजिक

वाशिंगटन:इंटरनेट को आधुनिक मानव इतिहास का सबसे बड़ा आविष्कार कहना अप्रासंगिक नहीं होगा। इंटरनेट ने पूरी दुनिया को मुट्ठी में कर लेने की ताकत दी है। ऐसा लगता है मानो पूरी दुनिया कंप्यूटर, लैपटॉप और फोन में समा गई है। आप अपने फोन पर एक क्लिक कर दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से संपर्क कर सकते हैं। किसी भी देश में होने वाली किसी भी घटना के बारे पढ़ सकते हैं या देख सकते हैं लेकिन आपने कभी सोचा है कि बिना तार के आपके स्मार्टफोन तक इंटरनेट पहुंचता कैसे है?

दरअसल, समुद्र और महासागर में कई किलोमीटर लंबी केबल बिछाई गई है। इन्हीं केबल के रास्ते इंटरनेट हम तक पहुंचता है। पानी के अंदर केबल बिछाने की गूगल की परियोजना से जुड़े जेने स्टोवेल बताते हैं, ‘कई लोगों को लगता है कि इंटरनेट बादलों के रास्ते हम तक पहुंचता है लेकिन यह गलत है।’ इंटरनेट छोटे-छोटे कोड का समूह है जो समुद्र में बिछी केबल के जरिये हम तक पहुंचता है। बाल से भी पतली तार की मदद से इंटरनेट को दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में बमुश्किल उतना ही समय लगता है जितना आपको एक शब्द पढ़ने में। दुनियाभर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए महासागरों में करीब 12 लाख सात हजार किलोमीटर लंबी केबल बिछाई गई है।
आपके फोन तक कैसे पहुंचता है इंटरनेट?
सबसे पहले फैक्टि्रयों से केबल तारों को इकट्ठा किया जाता है। केबल को कहां बिछाया जाना है, इसका ध्यान रखते हुए उसे प्लास्टिक या स्टील के खोल से ढका जाता है। समुद्र में केबल बिछाने का काम पूरा होने पर डाटा प्रकाश की गति से उन तारों से गुजरकर जमीन पर स्थित नेटवर्क या सेटेलाइट से संपर्क बनाता है। इन्हीं नेटवर्क या सेटेलाइट की मदद से हम इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाते हैं।
25 वर्ष होती है इंटरनेट केबल की उम्र
इंटरनेट की केबल को प्राकृतिक आपदा से बचाने की पूरी व्यवस्था की जाती है। बावजूद इसके पानी के तेज बहाव, भूकंप आदि से उनके क्षतिग्रस्त होने की आशंका रहती है। एक केबल करीब 25 साल तक काम कर सकती है।
सबसे पहले इंटरनेट केबल से जुड़े थे अमेरिका व ब्रिटेन
1858 में पहली बार अटलांटिक महासागर में बिछाई गई केबल के जरिये अमेरिका व ब्रिटेन को इंटरनेट से जोड़ा गया था। उस वक्त डाटा को ट्रांसमिट होने में करीब 16 घंटे का समय लग जाता था। उसके बाद के दशकों में तेजी से सेटेलाइट और वायरलेस तकनीकों का विकास हुआ। इनके इस्तेमाल से अब एक सेकेंड से भी कम में किसी भी डिवाइस पर डाटा ट्रांसमिट हो जाता है।