मुलायम-अखिलेश की आय से अधिक संपत्ति मामले में बढ़ सकती हैं मुश्किल, सुप्रीम कोर्ट ने CBI से मांगा जवाब

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लखनऊ:समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव के साथ पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुश्किल लोकसभा चुनाव के दौरान बढ़ सकती है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इनके खिलाफ सीबीआई जांच की प्रगति की मांग पर सीबीआइ को नोटिस जारी कर इसकी जांच रिपोर्ट मांगी है।
लोकसभा चुनाव 2019 के दौर में समाजवादी परिवार के आलाकमान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आय से अधिक संपत्ति के मामले में समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव, पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के छोटे पुत्र प्रतीक यादव के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य ïन्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि 2007 में सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि पहली नजर में केस बनता है इसलिए नियमित केस दर्ज कर जांच होनी चाहिए। अब कोर्ट इस मामले में जानना चाहता है कि इस केस में क्या हुआ। केस दर्ज हुआ या नहीं। वहीं मुलायम के वकील ने चुनाव के वक्त ऐसी याचिका का विरोध किया और कहा कि कल सब अखबारों में यह खबर होगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि वक्त से कुछ फर्क नहीं पड़ता, क्या हुआ हमें जानना है। सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव, प्रतीक यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने की मांग की गई है|
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने राजनीतिक कार्यकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी की नई याचिका पर आज सुनवाई की। उन्होंने सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की है कि वह या तो सुप्रीम कोर्ट या फिर एक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष आय से अधिक संपत्ति मामले की रिपोर्ट पेश करे। विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 2005 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की थी वह मुलायम सिंह यादव, अखिलेश, उनकी पत्नी डिंपल यादव और मुलायम के एक अन्य बेटे प्रतीक यादव के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग कर कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत उचित कार्रवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने एक मार्च 2007 के अपने फैसले में सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह गंभीर आरोपों की जांच करे और यह पता लगाए कि समाजवादी पार्टी के इन नेताओं की आय से अधिक संपत्ति के संदर्भ में लगाए गए आरोप ‘सही है या नहीं।’
इस मामले के मूल याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया सीबीआइ ने अब तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है जबकि मार्च 2007 में शुरुआती सबूतों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने केस दर्ज करने का आदेश दिया था। 2012 में इस मामले में मुलायम, अखिलेश और प्रतीक यादव की पुनर्विचार याचिका भी कोर्ट खारिज कर चुका है। हालांकि कोर्ट ने डिंपल यादव की अर्जी को मंजूर कर उनके खिलाफ जांच को बंद कर दिया था। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट अब सीबीआइ से मामले पर रिपोर्ट तलब करे या निचली अदालत में रिपोर्ट जमा करने का आदेश दे। उनका कहना है कि इस मामले को 11 वर्ष बीत चुके हैं और जांच के बारे में कुछ पता नहीं है।