सांस्कृतिक धरोहर के रक्षक थे डॉ० वाकणकर

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फर्रुखाबाद: कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती द्वारा संस्कार भारती के संस्थापक महामंत्री पुरातत्वविद् पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर का जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर एक विचार गोष्ठी का आयोजन नया कोठा पार्चा स्थित एशियन कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट पर हुआ। संस्कार भारती फर्रुखाबाद के कला साधकों ने श्री डा0 विष्णु श्रीधर (हरिभाऊ) वाकणकर का स्मर्ण करते हुए अपने श्रृद्धा सुमन अर्पित किए।
गोष्ठी में बताया गया कि डॉ॰ वाकणकर जी ने अपना समस्त जीवन भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने में अर्पित किया। उन्होंने अपने अथक शोध द्वारा भारत की समृद्ध प्राचीन संस्कृति व सभ्यता से सारे विश्व को अवगत कराया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में आने पर उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक और शैक्षिक उत्थान कार्य किया, लगभग 50 वर्षों तक जंगलों में पैदल घूमकर विभिन्न प्रकार के हजारों चित्रित शैल आश्रयों का पता लगाकर उनकी कापी बनाई तथा देश विदेश में इस विषय पर विस्तार से लिखा, व्याख्यान दिए और प्रदर्शनी लगाई। प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में डॉ॰ वाकणकर ने अपने बहुविध योगदान से अनेक नये पथ का सूत्रपात किया।
कार्यक्रम में प्रान्तीय प्राचीन कला विधा संयोजक अखिलेश पाण्डेय, पुरातत्वविद यश भारती डा0 रामकृष्ण राजपूत रवीन्द्र भदौरिया, प्रान्तीय महामंत्री सुरेन्द्र पाण्डेय, अध्यक्ष संजय गर्ग, कार्यकारी अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे, सचिव आकांक्षा सक्सेना, कोषाध्यक्ष आदेश अवस्थी, डा0 समरेन्द्र शुक्ल ‘कवि’ सुनील अवस्थी अन्शुल कश्यप शिल्पी सक्सेना पूजा चैरसिया उपकार मणि उपकार आदि उपस्थित रहे।