निर्मल मन ही भगवान को प्राप्त करने का साधन

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फर्रुखाबाद:(मोहम्मदाबाद) सहसपुर में चल रही श्रीरघुनाथ कथा के सातवें दिन भरत के राम के प्रति प्रेम के प्रसंग पर चर्चा की| कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंहुचे|
कथा व्यास प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि विश्रााम वहीं पर मिलता है जहाँ मन को शान्ति मिलती है। भक्त का विश्राम ‘भजन’ है। जो भी व्यक्ति इस लोक अथवा परलोक में सुख चाहता है, उसे लिए सुखद मार्ग है सत्संग और भजन।
उन्होंने कहा कि निर्मलता में भगवान का वास है। निर्मल मन से ही भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। आसन-असन और वसन शुद्ध होना चाहिए भगत का।
शीघ्रता में भोजन भजन कतई नहीं करना चाहिए। प्रेम का वास हृदय और नेत्रों में होता है। जो तार दे वो तीर्थ है। जिसकी निष्ठा सद्गुरू में होती है उसकी निष्ठा परमात्मा में हो ही जाती है। समर्पण के बिना ममता नहीं प्राप्त होती है ममता प्राप्त करने के लिए समर्पण को गलाना पड़ता है।
प्रेम की पराकाष्ठा है ‘भरत’ जी है। 
कथा के बाद मुख्य यजमान डाॅ0 अनुपम दुवे एडवोकेट ने अपनी पत्नी मीनाक्षी दुवे, ब्लाक प्रमुख अमित दुवे ‘बब्बन’, अनुराग दुवे ‘डब्बन’ अभिषेक दुवे, सीतू दुवे एवं परिवार के साथ आरती उतारी। भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। इस मौेके पर डाॅ0 अशोक सिद्धार्थ राज्य सभा सदस्य की पत्नी सुनीता सिद्धार्थ , कमलेश पाठक, अरूण मिश्रा, रामनरेश दीक्षित, कल्लू मिश्रा, हंसमुखी त्रिवेदी, गोविन्द मिश्रा, रिन्कू चन्देल, राकेश मिश्रा व शिवकुमार, शिक्षक नेता संजय तिवारी आदि रहे|