जेल के बाहर अपनों को देखकर आंखों से छलक पड़े आंसू

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फर्रुखाबाद:साल दर साल बीतते चले गए। उन्होंने रिहाई की उम्मीद ही छोड़ दी थी। जुर्म संगीन था। उम्रकैद की सजा पूरी करने वास्ते काल कोठरी में कैद थे। जेल ही उनका घर व आंगन बन चुका था। परिजन धीरे-धीरे बिसरते जा रहे थे। उनकी यादें धुंधली पड़ती जा रही थीं। किस्मत ने अंगड़ाई ली। रिहाई की उम्मीद जगी। जिसके चलते शासन के आदेश के बाद आखिर शनिवार को सेन्ट्रल जेल से 35 बंदियों की रिहाई की गयी| जेल के बाहर अपनों के साथ खुली हवा में आते ही रिहा हुए बंदियों के साथ ही उनके परिजन लिपट कर रो पड़े| यह नजारा देख हर किसी की आँखे नम हो गयी|
सेन्ट्रल जेल से बीते दिन 37 बंदियों के रिहाई के फरमान की खबर थी| लेकिन शासन ने 35 बंदियों को रिहा किया| दोपहर बाद जेल से बाहर कदम रखने वाले इन बंदियों के चेहरे पर वक्त की सिलवटें साफ नजर आ रही थीं। खुले आसमान में विचरण करने की आस में ना जाने कितनी स्याह रातें जेल में गुजार चुके ये बंदी जब बाहर आए तो एक तरफ साथी कैदियों से बिछड़ने का गम था, तो दूसरी तरफ अपनों से मिलने की बेइंतहा खुशी। अपने ही तो थे वे जिन्होंने सालों तक जेल में सुख-दुख में साथ दिया।
जेल से बाहर निकलते ही आंखें अपनों को निहार रही थीं। किसी के परिजन मिले तो आंसू छलक पड़े, तो कई की आंखें अपनों को निहार रही थीं। कोई खुशी खुशी घर गया, तो कोई भरे मन से बैग उठाकर घर की तरफ रवाना हुआ। इससे पूर्व बंदियों को काफी लम्बी कागजी कार्यवाही से गुजरना पड़ा| बताया जा रहा है कि बीते वर्ष 1999 के बाद से इतनी बड़ी रिहाई नही हुई| जेलर पीके सिंह आदि रहे|
सेन्ट्रल जेल अधीक्षक एसएचएम रिजवी ने जेएनआई को बताया की रिहा किये गये बंदियों में 16 साल की सजा काट चुके बंदी थे| इसमे में आयु को शामिल किया गया था| 70 वर्ष की आयु वाले बंदी को 12 वर्ष,80 वर्ष वालों को 10 वर्ष की सजा पूरी होने पर रिहा किया गया| अभी शासन में और बंदियों की रिहाई लम्बित है| आदेश आते ही उन्हें भी रिहा किया जायेगा|