जिले में धूमधाम से मनाई गयी अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद: जिले में परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया धूमधाम से मनाई गयी| वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था| परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे| परशुराम भगवान शिव के परमभक्त होने के साथ न्याय के देवता भी माने जाते हैं| उन्होंने क्रोध में न सिर्फ 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन किया बल्कि भगवान गणेश भी उनके गुस्से का शिकार हो चुके हैं| 

ब्राह्मण समाज जन सेवा समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों ने भगवान् गणेश के पूजन के साथ ही अक्षय तृतीया का शुभारम्भ किया| इस दौरान हवन का आयोजन किया गया जिसमे प्रमुख रूप से नारायन दत्त, अतुल मिश्रा, नीरज सर्स्व्कात, अखिलेश अग्निहोत्री, मेजर सुनील दत्त द्विवेदी, पप्पू बाजपाई, डब्बन, अवनीश मिश्रा, अरुण मिश्रा आदि ने प्रतिभाग किया|

ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, परशुराम एक बार भगवान शिव से मिलने उनके कैलाश पर्वत पहुंच गए| लेकिन वहां उन्हें रास्ते में ही उऩके पुत्र भगवान गणेश ने रोक दिया| इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था| जिसके बाद भगवान गणेश एकदंत कहलाए|

त्रेतायुग में सीता स्वयंवर के दौरान टूटने वाला धनुष भगवान परशुराम का ही था| अपने धनुष के टूटने से क्रोधित परशुराम का जब लक्ष्मण के साथ संवाद हुआ तो भगवान श्री राम ने परशुराम जी को अपना सुदर्शन चक्र सौंप दिया था| यह वहीं सुदर्शन चक्र था जो द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के पास था|

महाभारत से जुड़ीं प्रचलित कथाओं के अनुसार भीष्म पितामह परशुराम के ही शिष्य थे| एक बार जब भीष्म ने अपने छोटे भाई से विवाह करवाने के लिए काशीराज की तीनों बेटियों अंबा, अंबिका और अंबालिका का हरण कर लिया| लेकिन जब अंबा ने भीष्म को बताया कि वह राजा शाल्व से प्रेम करती हैं, तो भीष्म ने उसे छोड़ दिया| लेकिन शाल्व ने अंबा के हरण होने के बाद उससे विवाह करन से इंकार कर दिया|