अजीब मुकदमा: राम की भैस चोरी में पंच मालामाल, शुक्लाजी ठगे गए, फौजी हुआ बेहाल

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद: रामकृपाल की भैस चोरी हुई, संतोष और रामू पर चोरी का आरोप लगा, विनय से रुपये वसूले गए, अब ठगी का मुकदमा विजय ने लिखाया| मतलब ये कि जिसकी भैंस चोरी हुई वो अब खामोश है| जिन पर भैंस चोरी का आरोप है वे भी अब खामोश है| थाने से लेकर डीएम एसपी के दफ्तर के चक्कर वे लगा रहे है जिन्होंने बड़ी अम्मा बन कर पंचायत कराई| वो तो भला हो एडिशनल एसपी का जिन्होंने पूर्व फौजी की फ़रियाद पर मुकदमा दर्ज करा दिया वर्ना कमालगंज थाने की पुलिस आरोपी पकड़ने की जगह गवाह को ही धमकाने में लग गयी थी|

सीन 1-

मामला जरा उलझा हुआ है| ध्यान से समझिये और सबके स्वार्थ समझिये| कमालगंज थाने के अंतर्गत गंगा किनारे एक गाँव है भोरा नगला| तो भोरा नगला के रामकृपाल की तीन भैंस 4 अगस्त को चोरी हो गयी| रामकृपाल भैंस चोरी की रिपोर्ट थाने में लिखाता इससे पहले ही मामला रामकुमार यादव तक पंहुचा| रामकुमार यादव उस इलाके के दबंग माने जाते है| अब रामकृपाल को समझाया गया कि भैंस कोई आज़म खान की तो थी नहीं जो पुलिस ढूंढ लाएगी| ये समझाकर उस इलाके के कथित हनकदार रामकुमार यादव ने रामकृपाल को मदद करने का भरोसा दिलाया| अंदरखाने से ये भी तलाश कर लिया गया कि भैंस चोरी देवरान गढ़िया के संतोष और रामू ने की है और उन्हें तिर्वा के नाखासे (जानवरों का बाजार) में बेच दिया है| रामकुमार पंच बने| संतोष और रामू पर दबाब बनाया तो दोनों रामकुमार के आगे नतमस्तक हो गए और 20000 रुपये संतोष से लेकर पंचायत करने के दौरान उसे क्लीन चिट दिलाने का भरोसा दिलाया|

सीन-2 

अब 7 अगस्त को रजीपुर में पंचायत हुई| पंचायत में रामकुमार यादव ने अपनी मित्र मण्डली पप्पू प्रधान, पूर्व प्रधान अंसार, जितेन्द्र यादव, संतोष और रामू जुटे और उसी पंचायत में एक नया किरदार बुलाया गया रजीपुर निवासी विनय शुक्ला| वैसे तो विनय शुक्ल संतोष के मित्र भी है मगर पंचायत के दौरान संतोष और रामू ने विनय को मूल चोर बताकर नया दाव चल दिया कि चोरी विनय ने कराई और उन्हें तो केवल 5000 देने को कहकर भैंस भेचने का काम दिया गया| पुलिस और प्रशासन को दी गयी शिकायत में कहा गया कि दबंग पंचो ने जान से मार डालने की धमकी देकर विनय शुक्ला से भैंसों के पैसे देने को कहा| जान बचाने को विनय शुक्ला ने कमालगंज के अन्नू गुप्ता को फोन कर 80 हजार रुपये मंगवाए और पंचो को दिए| रुपये देते समय अन्नू गुप्ता ने पूरी पंचायत का विडियो भी बना लिया| इस पूरी कहानी में पता ये चला कि पंचायत में 20 हजार कथित चोर संतोष और रामू से पड़े, 80 हजार विनय से पड़े जिसका कहना है कि उससे जबरिया ठगी की गयी| मगर पूरे 1 लाख के हिसाब किताब में जिसकी भैंस चोरी हुई थी उसे केवल 40 हजार मिले| यहाँ ये बताना भी है कि रामकृपाल की चोरी हुई तीन भैसों में से एक वापस मिल गयी थी| अब रामकृपाल खामोश हो गया| संतोष ने तो भैंस बेचीं ही थी सो उसे 20 हजार कम का मुनाफा हुआ मगर पूरे खेल में विनय शुक्ला 80 हजार की चपत अपने ही दोस्त के कारण खा गए|

सीन-3

अब तक सब खामोश थे, पंच दावत उड़ा गए| भैंसे तिर्वा के नाखासे में बिककर पश्चिम उत्तर प्रदेश में नए मालिक के खूंटे पर जुगाली कर रही थी| रामकृपाल को चोरी की भैसों के बदले कुछ मिल ही गया था| मगर विनय अन्दर ही अन्दर कुढ़ रहे थे| मगर उन्होंने  कुछ न कहा| 11 अगस्त को रक्षाबंधन के न एक नया किरदार इस कहानी में शामिल होता है| विनय के परिवार के लोग त्यौहार के दिन इक्कट्ठे होते है तो उनके बड़े भाई  फ़ौज से सेवानिवृत हुए है विजय शुक्ला भी घर पर पहुचते है|

विजय को जब ये कहानी पता चलती है तो वे सक्रिय होते है और कमालगंज थाने में जाकर अपनी फ़रियाद कहते है| थाना इंचार्ज को विडियो दिखाते है| पुलिस शिकायत का प्रार्थना पत्र ले लेती है| जाँच एसआई मदनलाल को देती है और फिर थाने में पंचायत करने वाले बुलाये जाते है| विनय और फौजी को भी बुलाया जाता है| पुलिस अपने अंदाज से दोनों को हड़काती है और दो दिन के अन्दर भैस खोज कर वापस करने और बदले में पैसा वापस करने का समझौता लिखाकर लौटा देती है| इसी बीच फौजी चोरी की पूरी दास्तान का पता लगाते है| जिस पिकप वाहन से भैसे चोरी होकर गयी उसे भी तलाश लेते है और ड्राईवर और वाहन  मालिक को लेकर पहुचते है| इसी बीच रामकुमार यादव, पप्पू यादव प्रधान अपने ३०-40 साथियों के साथ थाने में आ धमकते है| विडियो देखकर फौजी बताते है कि ये सब विडियो में है| अब थाना इंचार्ज पुराणी दी गयी तहरीर में दो नाम प्रधान पप्पू यादव और पूर्व प्रधान अंसार के नाम बढ़ाकर देने को कहते है| ये सब तहरीरे ली जाती है| आरोपियों की सूची बढ़ती जाती है मगर मुकदमा दर्ज नहीं होता है| अब आरोपियों की सूची बड़ी होने का लाभ किसे मिलता है इस पर कुछ लिखने की जरुरत नहीं, पाठक समझदार है|

सीन-4 

जब 17 अगस्त तक मामले का मुकदमा नहीं लिखा जाता तो उस दिन थाना दिवस पर फौजी विजय शुक्ला अपने भाई विनय शुक्ल और कई अन्य पूर्व सनिको के साथ थाने पहुचते है| वहां मौजूद एडिशनल एसपी त्रिभुवन सिंह को पूरी दास्तान बताते है और विडियो दिखाते है| इसके बाद अपर पुलिस अधीक्षक की फटकार के बाद मामले का मुकदमा दर्ज होता है| दबंग प्रशासन पर दबाब बनाने के लिए कुछ किसान यूनियन के सदस्यों के साथ जिलाधिकारी को ज्ञापन भी अपनी बचत में दे आते है| इसके बाद आज 24 अगस्त को पूर्व सनिक विजय शुक्ला अपने कुछ फौजी भाइयो के साथ जिलाधिकारी से मिलकर विडियो दिखाते है और पूरी स्थिति पर एक प्रार्थना पत्र देते है| जिलाधिकारी मोनिका रानी से उन्हें न्याय देने का भरोसा मिलता है|

तो अब मामला बड़ा होने लगा है| भैंस चैन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दूध दे रही होंगी| किसान यूनियन, पूर्व सैनिक और पुलिस अपनी अपनी भूमिका अदा करने के लगे है| वैसे पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के नाम पर वोट लेने वाले नेता और विधायक चाहे तो मदद कर सकते है| फौजी विजय शुक्ला का मोबाइल नंबर 9260971935 है| विजय ने जे एन आई को विस्तार से बताते हुए एक राज ये भी बताया कि गंगा किनारे कटरी के इलाको में भूमाफियाओ के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोला हुआ है जिसका परिणाम उन्हें भुगतना पड़ा है| वे न फ़ौज में झुके और न ही यहाँ झुकने| वैसे किसान यूनियन के नाम पर भूमाफियाओ की मदद करने का आरोप पहली बार नहीं लगा है|