गर्मी में शरीर में हुई पानी की कमी तो जान के पड़ जाएंगे लाले, बरतें ये सावधानियां

नई दिल्‍ली: सुदूर पहाड़ी इलाकों को यदि छोड़ दें तो पूरे देश में इस वक्‍त प्रचंड गर्मी पड़ रही है। आसमान से बरसती आग की वजह से सड़कों मृगतृष्‍णा का अनुभव किया जा सकता है। ऐसी चिलचिलाती और शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी में हजारों की संख्‍या में लोग पैदल अपने घरों की तरफ […]

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बढती गर्मी ने जनजीवन को किया घरों में लॉक डाउन

फर्रुखाबाद:(नगर प्रतिनिधि)दिनों दिन बढ़ती गर्मी के प्रकोप से जनजीवन अस्तव्यस्त हो रहा है। सूरज की तपिश लोगों को बेहाल कर रही है। इससे घर से निकलने की लोग हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। दोपहर में प्रमुख मार्गों, बाजारों व सड़कों पर सन्नाटा नजर आ रहा है।  गर्मी का सितम बढ़ने लगा है। दोपहर के […]

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खास खबर: लॉक डाउन नें मजबूत कर दी परिवारों के रिश्तों की डोर

फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) लॉकडाउन ने रिश्तों की डोर को काफी मजबूत कर दिया है। यह लॉकडाउन के दौरान कई स्टडी से साबित हुआ है। भागदौड़ भरी जिंदगी बेशक अब ठहर सी गई है, लेकिन यह ठहराव समाज और रिश्तों को नई मजबूती देगा। कोरोना वायरस ने एक ओर लोगों की रोजी-रोटी छीन ली है। उन्हें घरों में […]

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गाँव की खेती नें परदेसियों कें आंगन में लौटा दी खुशियाँ

फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) देश में कोरोना संक्रमण को लेकर चल रहे लॉकडाउन के करीब दो माह पूरा होने के बाद तथा प्रवासी मजदूरों के वापस गांव आने के बाद गांव के हालात बदलने लगे हैं। अधिकतर प्रवासी मजदूर वापस गांव आकर अपना पूरा समय खेती-बाड़ी में लगे हैं। इससे गांव की दिशा व दशा बदलने लगी है। […]

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लॉक डाउन में बंदरों के लिए संकट मोचन बना युवक

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) कोरोना की वजह से पूरे देश मे दूसरे चरण का लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन की वजह से प्रतिदिन कमाने-खाने वाले परिवारों के दरवाजे पर खाद्य संकट ने दस्तक दे दी है। हालाकि अभी मुफ्त मे सरकारी राशन और समाजसेवियों की सहायता से दो वक्त का भोजन किसी तरह इन्हें नसीब हो रहा है। […]

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पृथ्वी दिवस: प्लास्टिक से अब पृथ्वी को बचानें की चुनौती बनी पहाड़

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) हर वर्ष 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी एक मात्र ग्रह का जहां मानव जीवन है। धरती पर जीवन को बचाए रखने के लिए पृथ्वी की प्राकृतिक संपत्ति को बचाकर रखना जरूरी है। मानव अपनी जिम्मेदारी से लगातार भटकता जा रहा है। धरती के संसाधन का निर्दयतापूर्वक इस्तेमाल से […]

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घर का खाना खाने से पेट की समस्याएं हुईं लॉक डाउन

फर्रुखाबाद:(नगर प्रतिनिधि) बीते 25 से 21 दिन का लॉक डाउन और उसके बाद दो सप्ताह और बढाया गया|  जिससे लोगों को कई नुकसान तो कई फायदे भी दिखे है| कुछ फायदे सेहत से जुड़े हुए है| जब जेएनआई टीम ने इसकी जानकारी की तप पता चला कि लॉक डाउन में घर बैठने से बाजार का […]

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कोबिड़-19 के खौफ से गुम हुई शहनाई की गूंज, सैकड़ो शादियां लॉक डाउन

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) भले ही पीएम ने लॉकडाउन की घोषणा 14 अप्रैल तक की हो, लेकिन कोरोना वायरस के खौफ को देखते हुए तमाम वर-वधु पक्ष ने आगामी दो महीनों में होने वाले विवाह के कार्यक्रम टाल दिए हैं। विवाह समारोह स्थगित कर दिए गए हैं। इससे लोगों के अरमानों पर पानी फिर ही रहा है, […]

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कोरोना जाते-जाते बुरी यादों के साथ दे जायेगाअच्‍छी आदतें, मनोवैज्ञानिकों ने जताई उम्मीद

लखनऊ: हमारी खास आदत है यदि हम एक काम को लगातार कुछ समय तक करते रहते हैं तो वह हमारी आदत में शुमार हो जाता है। जैसे कुछ लोगों की आदत सुबह उठकर चाय पीने की होती है । एेसे में वह उसके बिना नहीं रह सकते। इसी तरह से सुबह टहलने जाने वाले अपनी […]

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लॉक डाउन में किराने की प्रमुख वस्तुओं की जाने थोक दर

फर्रुखाबाद:(नगर प्रतिनिधि)  जिले को कोरोना वायरस से बचाने के लिए शासन और प्रशासन पूरी तरह से लगा है| पुलिस, मीडिया, चिकित्सक व समाज सेवी अपनी पूरी ताकत लगाये हुए है कि किसी तरह से कोरोना को हराया जा सके| लेकिन उन्ही में कुछ फुटकर दुकानदारों की शिकायत आ रही है की वह औने-पौने दामों में […]

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मढ़ी-गढ़ी और मीठे कुएं सब औंधे हो गए, एक ही रास्ता बचा घर का

फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए पूरा देश लॉक डाउन की स्थिति से गुजर रहा है। प्रदेशों की सीमाएं सील हैं। यातायात के सभी साधन बंद हैं। ऐसे में दिल्ली, मुंबई सहित अन्य प्रदेशों में रहने वाले अपने गांव जैसे-तैसे लौट रहे हैं। मौत के रास्ते में जिन्दगी की आस लिए […]

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गौरैया दिवस: कहां तुम चलीं गयीं प्यारी चिरैया

फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला) कहाँ खो गई हो तुम कि तुम्हें याद करना पड़ता है।अब तो तुम हर दिन मेरे घर दाना खाने और पानी पीने भी नही आती | शायद हम ने हीं तुम्हारे रहने के जगह छीन ली है।वरना तुम तो रोशनदानों और पंखों के ऊपर भी घर बसा लेती थी। तुम्हारी ची-ची, चूँ-चूँ की झंकार […]

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