पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मूर्ति तोड़े जाने के मामले में गिरफ्तार आलोक श्रीवास्तव सहित तीन आरोपितों के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेश उपाध्याय ने प्रथमदृष्टया राजद्रोह का भी आरोप पाते हुए उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड स्वीकृत कर जेल भेज दिया। आदलत ने तीनों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी हैं।
-न्यायालय ने खारिज की जमानत याचिका
– 9 अगस्त तक के लिए भेजा जेल
ध्यान रहे, गुरुवार को कुछ शरारती तत्वों ने गोमतीनगर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल के पास भागीदारी भवन रोड पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मूर्ति तोड़ दी थी। इस मामले में गोमतीनगर पुलिस ने आलोक श्रीवास्तव, उनके बेटे अर्पित तथा विशाल मिश्रा को गिरफ्तार किया था। शुक्रवार शाम करीब 4:30 बजे पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के बीच आरोपी आलोक श्रीवास्तव, अर्पित व विशाल को दो वर्गो के मध्य वैमनस्यता एवं वर्ग विशेष के धर्म को अपमानित करने के अतिरिक्त लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के अंतर्गत अदालत के समक्ष पेश किया। बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि पुलिस किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है क्योंकि उनके विरुद्ध आरोपित अपराध की सजा सात वर्ष से कम है। लिहाजा पुलिस द्वारा प्रस्तुत न्यायिक रिमांड का प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए। जबकि अभियोजन अधिकारी अशोक वर्मा एवं रमेश चन्द्र ने बचाव पक्ष के तर्को का विरोध करते हुए अदालत से मांग की कि गिरफ्तार अभियुक्तों के कृत्य को देखते हुए उनके विरुद्ध राजद्रोह (धारा 124 ए) का भी अपराध बनता है। लिहाजा आरोपियों का न्यायिक रिमांड धारा 124 ए भा.दं.स. में भी स्वीकृत किया जाए। अदालत ने अभियोजन की मांग को स्वीकार करते हुए तीनों आरोपियों को धारा 153ए, 295ए एवं 124ए भ.द.स. के अंतर्गत न्यायिक रिमांड आगामी 9 अगस्त तक स्वीकृत करते हुए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है।