10 हजार भारतीय लोगों का विदेशों में काला धन

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कालेधन का कारोबार विदेशों में ही नहीं, देश में भी खूब फल-फूल रहा है। विभिन्न देशों में 9,920 भारतीय नागरिक कर रहे हैं काली कमाई। देश में ऐसे लोगों की संख्या 38,828 है। यह जानकारी केंद्र सरकार की ओर से कालेधन पर लगाम के लिए उपाय सुझाने को बनी कमेटी ने दी है। यह कमेटी सीबीडीटी चेयरमैन की अध्यक्षता में बनी थी। समिति ने कालेधन की रोकथाम पर कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। इनमें सार्वजनिक पद पर बैठे नेताओं को पद से हटने के बाद भी अपनी संपत्ति बताने की बात शामिल है। समिति ने कालेधन में योगदान के तौर पर कृषि क्षेत्र की भी पहचान की है। सोना और रियल एस्टेट में कालेधन के खेल को समिति ने खासतौर पर रेखांकित किया है। इस पर नकेल के लिए कई सुझाव दिए हैं। लोकपाल और लोकायुक्त का गठन जल्द करने की सिफारिश भी की गई है।

समिति अवैध रूप से अर्जित धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने पर सहमत नहीं है।
मार्च में वित्त मंत्रालय को सौंपी गई दो भागों में तैयार रिपोर्ट की पड़ताल करने के बाद वित्त सचिव ने कुछ दिन पहले ही इसे अन्य विभागों के पास काररवाई के लिए भेजा है। कार्रवाई के लिए अचानक वित्त मंत्रालय की तेजी को टीम अन्ना और बाबा रामदेव के 25 जुलाई से प्रस्तावित अनशन से जोड़कर देखा जा रहा है।

जर्मनी और फ्रांस में भी है कालाधन

पिछले कुछ सालों में जर्मन टैक्स अथॉरिटी से मिली सूचना के आधार पर 18 केस में 39.66 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति की पहचान की गई। 24.26 करोड़ रुपए की टैक्स डिमांड में 11.75 करोड़ की अब तक रिकवरी हुई। 17 केस में विभिन्न अपराधों के लिए प्रॉसीक्यूशन शिकायत फाइल की गई। 9920 शिकायतें विभिन्न देशों में भारतीय नागरिकों की ओर से अर्जित संपत्ति और पेमेंट के बारे में मिली। जांच विभिन्न स्तरों पर जारी है। फ्रांस से मिली सूचना पर 219 अघोषित संपत्ति के मामले सामने आए। 565 करोड़ रुपए की पहचान हुए। इन पर 181 करोड़ का टैक्स बना। अन्य देशों से 350 मामलों में सूचनाओं का इंतजार है।

देश में काला धन

38,828 घरेलू मामलों में संदेहास्पद ट्रांजेक्शन की सूचना एफआईयू को मिली। इनकी जांच जारी है। 2009-10 और 2010 -11 में सीबीडीटी को 18750 करोड़ की छिपी हुई आय का पता लगा।

डायरेक्टरेट ऑफ ट्रान्सफर प्राइसिंग ने 66085 करोड़ रुपए की मिस प्राइसिंग चिह्नित की। डायरेक्टरेट ऑफ इंटरनेशनल टैक्शेशन ने पिछले दो वित्तीय वर्ष में 33784 करोड़ रुपए सीमा पार के कारोबार में टैक्स के रूप में वसूला।

कहां लग रहा है कालाधन

समिति ने बिजनेस, उद्योगों में रिसिप्ट को छुपाकर व्यय अधिक दिखाने को ब्लैकमनी का प्राइमरी तरीका बताया है। भूमि और रियल एस्टेट से जुड़े कारोबार में कालेधन का खूब इस्तेमाल हो रहा है। भ्रष्टाचार के जरिए भी कालेधन का खेल बड़ी परियोजनाओं से लेकर लाइसेंस लेने तक में परवान चढ़ रहा है। वित्तीय बाजार के कारोबार और कृषि क्षेत्र में मिली छूट भी कालेधन की उपज बढ़ा रही है। सोना और जेवरात के आयात-निर्यात और कैश इकोनॉमी में जाली मुद्रा और ट्रेड बेस मनी लान्ड्रिंग से भी समस्या बढ़ रही है।

नेताओं की संपत्ति पर नजर

आयकर विभाग की ओर से दिए गए सुझाव का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘सार्वजनिक पदों पर रहने वाले लोग चुनाव से पहले अपनी संपत्ति की घोषणा करते हैं। लेकिन पद छोडऩे के बाद, आयकर रिटर्न छोड़कर उनकी संपत्ति का आकलन करने का अन्य कोई तरीका नहीं है। इसे मैंडेटरी बनाया जाना चाहिए। राजनीतिक व्यक्तिओं के पद छोडऩे के बाद पेंशन वगैरह तय करने से पहले उनकी संपत्ति का आकलन होना चाहिए।’

ये हैं सिफारिशें

> पैसा विदेशी अधिकार क्षेत्र में भेजने और फिर धन देश में लाने के लिए विदेशी निवेशकों का इस्तेमाल करने के तंत्र पर नजर रखने के लिए फायनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट को ज्यादा ताकत देने को कहा गया है।
> राजनीतिक दलों को चुनाव खर्च के लिए कालाधन मिलने पर रोक के लिए चुनाव सुधारों की जरूरत।
> सरकार कैश ट्रान्सपोर्टेशन को रेगुलेट करने और इसे कब्जे में लेने के लिए मौजूदा कानूनों – द क्वाइनेज एक्ट 2011,आरबीआई एक्ट 1934,फेमा, आईपीसी, सीआरपीसी में संशोधन करे या नया कानून बनाए।
> इन्कम टैक्स एसेसमेंट के मामलों को दोबारा खोलने की समय सीमा 6 साल से बढ़ाकर 16 साल हो। ताकि बाहर जमा धन को वापस लाने में मदद मिले।
> गोल्ड को बचत के तौर पर इस्तेमाल करने का आकर्षण कम हो। इसके लिए सरकार वैकल्पिक वित्तीय उपायों पर गौर करे। कस्टम ड्यूटी रिवाइज हो। संपत्ति कर को सोने-जेवरात के लिए श्रेणीबद्ध किया जाए जिससे अनप्रोडक्टिव संपत्ति में निवेश हतोत्साहित हो। वैट और बिक्रीकर को तर्क संगत बनाया जाए।
> एक व्यक्ति कितने एकाउंट खोल सकता है यह आरबीआई कड़ाई से तय करे। बैंक खातों पर नजर रखने के लिए समन्वित डाटा। एक जैसे पते पर अलग-अलग नाम वाले खातों पर हो नजर।
> आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों का त्वरित निपटारा करने के लिए देश भर में फास्ट ट्रैक कोर्ट बने। विशेष तौर पर आर्थिक अपराध कोर्ट भी बनाई जा सकती हैं।
> नेशनल टैक्स ट्रिब्यूनल का गठन तुरंत किया जाए।
> मौजूदा सजा प्रावधानों को बढ़ाने पर विचार हो।
> अचल संपत्ति में कालेधन का इस्तेमाल रोकने के लिए एनओसी का प्रावधान इनकम टैक्स कानून में हो।
> कृषि क्षेत्र का इस्तेमाल कालेधन के लिए न हो, इसलिए कृषि से जुड़े आयकर पर लेवी के मामलों में राज्यों के बीच समानता हो।

यह भी करना जरूरी

– लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसी के लिए पूरी तरह समर्पित एक ट्रेनिंग सेंटर बनाया जाए।
– प्राइवेट सेक्टर को भी ऑडिट के दायरे में लाया जाए।
– जीएसटी को अमल में लाने के लिए तेजी से काम हो।
– नॉन प्राफिट आर्गेनाइजेशन का एक केंद्रीय डाटा हो। इनके खातों की पूरी जानकारी रखी जाए।
– सरकारी बाबुओं का परफार्मेंस बेस रिवार्ड और पनिशमेंट का प्रस्ताव विचाराधीन है। इसे तेजी से अमल में लाने की जरूरत।
-बैकिंग चैनल्स और क्रेडिट – डेबिट कार्ड के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।
– सूचना देने वालों को मिले पर्याप्त संरक्षण।
– सीबीडीटी,सीबीईसी सहित ब्लैक मनी से लडऩे के लिए कारगर अन्य संस्थाओं में स्टॉफ की कमी को दूर किया जाए।