रे मतदाता तो इंतनी दूर दूर क्यूँ रहता है…..

Uncategorized

फर्रुखाबाद: बचपन में देहात में एक कहावत सुनी थी-
मेरी पड़ोसन ने कूटे धान,
बाकी भनक पारी मेरे कान|
उस मुई ने ऐसे छरे (कूटे),
मेरे हाथन में छारे परे||

ये कहावत सुकुआर व्यक्ति के लिए कही जाती है| रफ एंड टफ और बोल्ड लोग इस कहावत में फिट नहीं बैठते| मगर इन दिनों जो द्रश्य नेता और मतदाता के बीच चल रही रस्सा कसी और समझावन बुझावन का है किसी बड़े तीर्थ से कम नहीं लगता| अब 50-55 की उर्म में दयमंती सिंह को दुपहरी में दूर दूर बसे मतदाता के घर दस्तक देनी पड़े और उस पर बीच बीच में साँसे फूल जाए तो एक मजदूर और बड़े आदमी के बीच का फर्क तो नजर आ ही जाता है|
वैसे जिले के सबसे चर्चित और लोकप्रिय नेता विजय सिंह भी अब बूढ़े (हालाँकि वे ये बात नहीं कबूलेंगे) हो चले हैं मगर अभी भी जोश बरक़रार है| दयमंती सिंह ने पूरी दुपहर जमकर प्रचार किया| एक नजर तस्वीरो से-