अब सीएमओ को देना होगा टीबी के हर मरीज का ब्यौरा

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अब निजी क्लीनिक, सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं को हर टीबी मरीज का ब्यौरा जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी को भेजना होगा। इसके लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश भेजा है कि वह अपने क्षेत्र केनिजी पैथालॉजी, स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा इलाज किए जा रहे मरीजों का भी ब्यौरा इकट्ठा करें। यह सारा ब्यौरा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा जाएगा, इसके बाद इसकी पूरी रजिस्ट्री तैयार की जाएगी।

पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रदेश में कराए गए अनुसंधान में पता चला है कि यूपी में मल्टी ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी और टोटल ड्रग रजिस्टेंस के मरीज बढ़ रहे हैं। चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग केप्रमुख डॉ सूर्यकांत बताते हैं कि ऐसे मरीजों का लगातार बढ़ना खतरनाक है। यह मरीज केवल क्षय रोगी नहीं बढ़ाते बल्कि यह अपने ही जैसे एमडीआर और एक्सडीआर के मरीज बढ़ाते हैं। इन मरीजों का इलाज करने के लिए महंगी दवाएं आती हैं, जिसे हर मरीज को दे पाना मुश्किल होगा। इसी को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य महानिदेशालय की पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम इकाई को निर्देश भेजे हैं।

इसमें बताया गया है कि अब टीबी को सूचनीय रोग में ला दिया गया है, इसकी जानकारी मुख्य चिकित्साधिकारी से लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय और फिर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को होनी चाहिए। इससे टीबी मरीजों की असल संख्या पता चल सकेगी। इसके बाद इलाज की नई रणनीति भी तैयार की जाएगी।