फर्रुखाबादः पूर्व मुख्य मंत्री मायावती द्वारा चयनित किये गये अम्बेडकर ग्रामों में सपा सरकार आते ही पिछली सरकार द्वारा किये गये कार्यों की अनदेखी शुरू हो गयी है। ग्रामों में स्वच्छता अभियान के तहत बनवाये गये स्वच्छ शौचालयों का उपयोग अभी तक लोग कंडे व भूसा भरने में करते थे लेकिन निनौआ के एक ग्रामीण ने तो सरकार द्वारा बनवाये गये शौचालय को ही चौका बना लिया।
जेएनआई के कैमरे में कैद हुई तस्वीर को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार द्वारा चलाये गये ग्रामीण स्वच्छता अभियान की धज्जियां किस तरह से उड़ाई जा रहीं हैं। अम्बेडकर ग्रामों में गिनती के तौर पर उल्टी सीधी तरह से शौचालय बन तो गये लेकिन इनका उपयोग लोग कन्डे व भूसा भर रहे हैं। आश्चर्य वाली बात तो यह है कि अब अम्बेडकर ग्राम के निवासी इतने जागरूक हो गये हैं कि अब उन्हें शौचालय और चौके में कोई अंतर नजर नहीं आता। सम्बंधित अधिकारी भी कागजों में आंकड़े ठीकठाक दिखाकर कन्नी काट लेते हैं।
सरकार के इतने प्रयास के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में शौच जाना कम नहीं हुआ है। क्योंकि इसका कहीं न कहीं पर कारण है कि जो शौचालय सरकार द्वारा बनवाये गये थे वह कुछ तो आधे अधूरे ही बनवाये गये और जो पूर्ण हुए हैं वह भी अमानक सामग्री के चलते दो तीन माह में ही धरासाही हो गये। लेकिन कागजों में तो उनको पूरा दर्शाकर भुगतान करा लिया गया। जो साहब सत्यापन करने आये उन्होंने भी इन आधे अधूरे शौचालयों को ही पूर्ण मानकर अपनी मुहर लगा दी।
बसपा सरकार ने अम्बेडकर ग्रामों में पक्की सड़कें, कालोनियां, शौचालय, बिजली की व्यवस्था आदि करवाई थी। जिसके लिए राज्य सरकार से करोड़ों रुपये का बजट आया। लेकिन आज भी उनकी हालत बदतर ही है। जिसका जीता जागता उदाहरण निनौआ में राजू नट के यहां बने शौचालय से लगाया जा सकता है। शौचालय बनने के बाद कभी उसका प्रयोग शौचालय के उपयोग में नहीं किया गया। ऐसे एक नहीं सैकड़ों शौचालयों का यही हाल है।