टूटा हुआ दिल आपकी जान भी ले सकता है। ऐसा कहने के पीछे कोई इमोशनल रीजन नहीं है यह पूरी तरह वैज्ञानिक शोध के बाद कहा जा रहा है। एक अध्यन के बाद यह दावा किया गया है कि दिल टूटने के बाद लोग सदमे में चले जाते हैं और सदमे से ग्रस्त लोगों में संक्रमण होने की आशंका ज्यादा होती है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि किसी चाहने वाले को खोने पर होने वाला भावनात्मक तनाव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। इसकी वजह से संक्रमण से बचाव की प्रणाली कमजोर हो जाती है।
संडे टेलीग्राफ में प्रकाशित खबर के अनुसार, बर्मिघम विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि दुखी होने पर तनाव का स्तर और अवसाद में वृद्धि हो जाती है। इससे सीधे-सीधे श्वेत रक्त कोशिकाओं की कार्य क्षमता प्रभावित होती है। श्वेत रक्त कोशिकाएं न्यूट्रोफिल कहलाती हैं। यह बैक्टीरिया से होने वाले न्यूमोनिया जैसे संक्रमण का मुकाबला करती हैं। अध्ययन के अनुसार, बुजुर्गो में दिल टूटने पर संक्रमण का खतरा अधिक होता है। इसके दुष्प्रभावों से निपटने वाले हार्मोन की उत्पादन क्षमता उम्र बढ़ने के साथ-साथ क्षीण होती जाती है।
अध्ययन की अगुवाई करने वाले प्रोफेसर जेनेट लॉर्ड ने कहा कि करीब 40 साल तक वैवाहिक जीवन बिता चुके जोड़े में से अगर एक का निधन हो जाए तो अक्सर ऐसा होता है कि कुछ दिनों के बाद दूसरे की भी मृत्यु हो जाती है। इसका एक जीव वैज्ञानिक आधार भी है। उन्होंने कहा कि उनकी मौत दिल टूटने की वजह से नहीं बल्कि प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से होती है। ऐसा होने पर उन्हें कई तरह का संक्रमण हो जाता है। अनुसंधानकर्ताओं ने 65 साल और उससे अधिक उम्र के 48 स्वस्थ वयस्कों की प्रतिरोधक प्रणाली एवं हार्मोन स्तर के विश्लेषण के बाद यह निष्कर्ष निकाला।