यूपी चुनाव: माघ के महीने में वोट के भिखारी को वोट दान कर भारी पुण्य कमाए

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यूपी में 16वी विधानसभा के लिए आम चुनाव की रणभेरी बज चुकी है| चुनाव भी ऐसे महीने में हो रहा है जब हिन्दू मान्यताओ के मुताबिक पुण्य और प्रयाश्चित करने का समय है| माघ का महीना, दान कर पुण्य कमाने का सुअवसर| 5 साल ऐंठ में रहने वाला नेता भिखारी बन कर आपके दरवाजे पर वोट की भीख मांगने आया है| खाली हाथ मत लौटाना, वोट जरुर देना मगर उसको जो इसके लायक हो| हर गली, गाँव और नगर में नेता मंडराने लगा है| घर घर कुण्डी खटकाने लगा है| हाथ जोड़कर, पैर छूकर वोट मांगेगा| ऐसे ही हाँ मत कह देना, सवाल पूछना- आपको ही वोट क्यूँ दे?

लोकतंत्र का शुद्धिकरण करने का पावन अवसर माघ के महीने में नसीब हुआ है| नेताजी आयेंगे बड़े बड़े वादे करेंगे, इनके वादों के झांसे में मत आना| पहले पिछले पांच साल का हिसाब पूछना| सत्ता में थे तो ऐसा क्यूँ हुआ? और अगर विपक्ष में थे यानि सत्ता से बाहर थे तो कुकृत्य क्यूँ नहीं रुकवाया| विपक्षी नेता बोलेगा उसने धरना किया, ज्ञापन दिया| आप उससे सवाल पूछो क्या किया मत बताओ, ये बताओ रुका क्यूँ नहीं, क्यूँ नहीं रोक पाए? अगर भ्रष्टाचार नहीं रोक पाए तो वोट क्यूँ दे? और अगर भ्रष्टाचार में उसकी लिप्तता थी तब तो सीधे सीधे आपका कहने का हक बनता है कि आप उसे आजमा चुके अब अगला घर देखो|

गाँव का कोटेदार राशन नहीं देता| क्या कभी कोई नेता राशन दिलाने गाँव में आया?
गाँव नगर के सरकारी स्कूल में मास्टर साहब गायब रहते रहे, क्या नेताजी उसके खिलाफ कभी खड़े हुए?
लगभग अधिकांश प्रधानो ने सरकारी सहायता दिलाने के लिए घूस की रकम वसूली, क्या दरवाजे पर खड़े नेता ने कभी उसका विरोध कर न्याय दिलाया?
लेखपाल बिना घूस के कोई कागज नहीं बनाता रहा, क्या वोट के भिखारी ने इसे रुकवाया?
जिले भर के शिक्षा माफिया एन जी ओ बनाकर स्कूल चलाते है और अभिभावकों और बच्चो का आर्थिक शोषण करते रहे, क्या कोई एक नेता भी निकला इसे रुकवाने के लिए?

अब चुनाव में नेता पैसे देकर गाँव गाँव भीड़ जुटा रहा है और जनसम्पर्क कर रहा है| यही मौका है आपके लिए जहाँ भी नेता मिल जाए उससे सवाल पूछो|

माघ का महीना है लोकतंत्र को पवित्र करने के लिए वोट दान जरुर करें मगर उसी को करें जो लोकतंत्र में सही मायने में नेता और जनसेवक बनने लायक हो|