खबर है कि आज चौक से चंद कदमो की दूरी पर एक इज्जतदार शख्श ने कोतवाल को बिना वजह गलियां देने पर सरेबाजार जलील कर दिया| युवक बाजार में अपनी कार से चौक के पास से गुजर रहा था| कार में एक महिला भी थी| वो उसकी मां, बहन, पत्नी या बेटी भी हो सकती है| कार के पीछे कोतवाल की जीप चली जा रही थी| जीप कोतवाल की थी सो सबसे आगे जानी चाहिए इसलिए हूटर भी बजा रही थी| भीड़ भाड़ की वजह से पुलिस की जीप को कार सवार देर में साइड दे पाया| मगर जैसे ही पुलिस की जीप कार के बराबर से गुजरी, कोतवाल ने निंद्रा तोड़ते हुए कार सवार को धारा प्रवाह अश्लील शब्दावली के साथ हड़काना शुरू कर दिया| कार सवार ने अपने साथ महिला होने के बाबजूद कोतवाल की हरकत पहले समाया आपत्ति जताई मगर कोतवाल साहब का अश्लील गालिओं युक्त प्रवचन कम होने की जगह बढ़ गया| अचानक युवक के अन्दर का अन्ना जाग गया और उसने कोतवाल को कार से उतर कार जो हड़काना शुरू किया तो फिर तमाशवीनो को भी मजा आया| युवक ने कहा शर्म नहीं आती गालियाँ देते हुए, हद हो गयी, बिल्ले नुचवा दूंगा, ज्यादा से ज्यादा क्या करोगे- कोतवाली ले जाओगे चलो कोतवाली चलते हैं… | सरे बाजार इज्जत उतरते देख कोतवाल ने मौके से खिसकना ही उचित समझा|
अंग्रेजो के ज़माने से आजादी के साठ साल बाद भी यूपी बिहार के अधिकतर कोतवालो की ठसक में कोई कमी नहीं आई है| जिसे चाहे सरेबाजार गरिया दे, जिसकी चाहे इज्जत दो कौड़ी की कर दे| सामान्य वाकया के आगे और पीछे बिना अश्लील और भद्दी गालियाँ बिना फिट करे तो आमतौर पर ज्यादातर कोतवालो के मुह से कोई शब्द ही नहीं निकलता| अश्लील व्याकरण का इस्तेमाल करते समय ये न आगे देखते हैं और न पीछे बस धारा प्रवाह यू बोलते हैं की इज्जतदार इंसान चुपचाप खिसक लेना ही उचित समझाता है| आज की इस युवक के हौसले को देख जनता बोल ही पड़ी- ये शहर का पहला अन्ना है जिसने कम से कम पुलिस की इस असामाजिक हरकत का विरोध तो किया| घटना के बाद कुछ आवाज भी उठी- इस युवक को सम्मानित किया जाना चाहिए|