राहुल की सभा: स्कूल के बच्चो और जरदोजी के मजदूरों ने बचाई इज्जत

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फर्रुखाबाद: नगर के बीचोबीच हुई राहुल गाँधी की जनसभा में सिटी पब्लिक स्कूल के बच्चो, शीतला जूनियर हाई स्कूल की नन्ही बच्चिओं, इफ्तिदा कम्पूटर सेंटर की छात्राओं और जरदोजी कारखानों के मजदूरों ने भीड़ बढ़ाकर कांग्रेस की इज्जत बचाई| अलबत्ता फर्रुखाबाद नगर के युवाओं और आम जनता में राहुल गाँधी या यूं फिर कहें कि नेताओ को सुनने की ललक खत्म हो चुकी है| मंचो से झूठे वादों की घुट्टी पिला पिला कर नेता अपने खासमखास चमचो से मुह पर वाहवाही भले ही बटोर ले मगर हकीकत ये है कि मंच के सामने बैठे पार्टी के कार्यकर्ता के साथ आम जनता भी नेताओ को गरियाने के अंदाज में ही टिपण्णी करती मिलती है| ये सच्चाई किसी एक पार्टी के साथ नहीं है बल्कि लगभग सभी दलों में है|

शुक्रवार 16 दिसंबर 2011 को फर्रुखाबाद के क्रिश्चियन स्कूल के मैदान में राहुल गाँधी की जनसभा का प्रचार सुबह 9 बजे का किया गया था| मगर मैदान में 11 बजे तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं और दिल्ली की मीडिया के भारी जमावड़े के अलावा आम जनता के गिने चुने चेहरे ही नजर आ रहे थे| बात मौसम के मार की भी कही जा सकती है क्योंकि कोहरे ने अपना साया सुबह 10.30 के बाद हटाया था| राहुल गाँधी लगभग ११.३० पर फतेहगढ़ के डाक बंगले से चलने के लिए कांग्रेस के नए चुनावी रथ में सवार हुए और उतर गए| एक मुह से दूसरे मुह चलते चलते खबर डाक बंगले के बाहर आई कि मैदान में भीड़ कम होने की वजह से कुछ देर और लगेगी|

उधर मैदान में सलमान खुर्शीद और लुईस खुर्शीद के लिए दिल्ली से आये मीडिया मैनेजरों ने राहुल के साथ चल रहे बड़े मीडिया घरानों के पत्रकारों को मूंगफली खिलाकर संभाला| मैदान में कोहरे के छटते ही कैमरे खाली मैदान को कैद कर अपना काम शुरू कर रहे थे| लुईस और सलमान तक पहुच वाले नेता और सिपहसलार अपनी पेशानी पर आये बल को छोटे नेताओ पर उतार रहे थे| आनन् फानन में युवा कांग्रेस को भीड़ बढ़ाने का काम सौपा गया| सिटी पब्लिक डिग्री कॉलेज के प्रबन्धक विजय विद्रोही जो युवा कांग्रेस में हैं तत्काल अपने कॉलेज गए और लगभग 1 सैकड़ा बच्चो को बुला लाये| एक नेताजी शीतला जूनियर स्कूल की बच्चियो को बुला लाये| कुछ बच्चिया मैडम के ट्रस्ट से जुड़े संस्थानों से बुलाई गयी| इधर 18 साल से कम उम्र की भीड़ देख कुछ स्थानीय खबरिया छायाकारो ने फोटो शूट शुरू किया तो एक चमाचम सफ़ेद कमीज पहने नेताजी ने दोनों हाथ जोड़कर फोटोग्राफरो से इज्जत बख्शने का इशारा किया| पत्रकारों के खेमे से आवाज आई कभी सलमान के बारे में फोन करो तो फोन तक नहीं उठाते आज …..|

खैर बच्चो से मैदान में रौनक आने लगी| कुछ सूर्य देवता भी मेहरवान हुए तो सड़क पर खड़ी भीड़ भी खुले मैदान में धूप सेकने की खातिर आगे बढ़ी| इसके बाद भीड़ आना शुरू हुई तो भीड़ से मुखातिब एक पत्रकार ने पूछ दिया कि आज कारखाने नहीं गए, उधर से आवाज आई यार… आज मालिक राहुल को सुनने के लिए भेजा है| मैंने पूछ दिया आज की दिहाड़ी का क्या होगा, मजदूर बोला मालिक ने कहा आज की नहीं कटेगी| ये जरदोजी का कारीगर था जो बुनकरों की श्रेणी में आता है| जाकिर हुसैन ट्रस्ट के माध्यम से विकलांगो को मिलने वाले रिक्शो पर बैठ विकलांग भी राहुल की सभा में एहसान चुकाने पहुचे| इन सबके बीच आम श्रोताओ का टोटा ही नजर आया| सहसा मुझे याद आया कि ये अन्ना के कार्यक्रम के नहीं थे जिनमे सुनने के लिए बिना बुलाये भीड़ आगे पहुचने की कोशिस करती है| ये द्रश्य दिल्ली के मीडिया हाउस तो दिखाने से रहे| बेचारे क्या करें, उनकी बड़ी कंपनी है कुछ न कुछ सरकार के तलुओं के नीचे दबा रहता है| भारी भरकम वेतन लेने वाले पत्रकार तो अपनी कलम पहले ही लाला के यहाँ गिरवी रख चुके हैं| एक लाइन याद आती है-
“है उस्तरे की धार पर लोकतंत्र की मूछें, लेखनी की अब जमानत जब्त है|”

लगभग 12.30 बजे राहुल गाँधी यूपी फतह के लिए खासतौर से बने बुलट प्रूफ रथनुमा बस में बैठ मैदान में सभा के लिए पहुचे तो जिंदाबाद के नारे लगने शुरू हो गए| राहुल के पहुचने से पहले मंच के साइड में बनी गैलरी के लोगो को मैडम लुईस ने सामने बैठने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि राहुल को भीड़ ठीक से दिख सके और अपने संबोधन में भीड़ आने और न आने को मुद्दा बना डाला| मैडम के भाषण में शब्द कुछ यू सुनाई पड़े- राहुल को सुनने के लिए आने वाले ट्रैक्टर पुलिस वालों ने रोक लिए….| आवाज भीड़ से भी आई मगर हाई पावर म्यूजिक सिस्टम में दब गयी-.. जब कई हजार झूठे मरते होंगे तब कोई एक नेता पैदा होता होगा!