सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के रिहायशी सेक्टर में बने घरों में बैंक और नर्सिंग होम जैसी व्यावसायिक गतिविधियों को तत्काल बंद करने का आदेश दिया है । साथ ही, नोएडा अथॉरिटी से दो माह के भीतर आदेश का पालन कर कोर्ट को सूचित करने की हिदायत भी दी है ।
हालांकि कोर्ट का आदेश क्लीनिक और वकीलों के दफ्तर पर लागू नहीं होगा। शीर्ष कोर्ट ने एक फैसले में नोएडा अथॉरिटी के उस आदेश को सही ठहराया जिसमें रिहायशी सेक्टर में बने मकानों में बैंक और नर्सिंग होम जैसी गतिविधियां बंद करने के लिए कहा गया था। इस आदेश से आवासीय संपत्तियों में चल रहे 100 से ज्यादा निजी व राष्ट्रीयकृ त बैंकों की शाखाएं तथा नर्सिंग होम प्रभावित होंगे।
चीफ जस्टिस एस.एच. कपाड़ि या अस्पताल और स्वतंत्र कुमार की खंड पीठ ने यह आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई अपीलों को खारिज करते हुए सोमवार को दिया। पीठ ने नोएडा अथॉरिटी से कहा कि व्यावसायिक गतिविधियों के कारण जिन मकानों की लीज रद्द की थी, उसे बहाल करे , क्योंकि अब ये गतिविधियां अवैध हो गई हैं ।
शीर्ष कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के वकील रविंद्र कुमार तथा प्रतिवादियो की बहस सुनने के बाद 9 नवंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
यह था मामला? :
सेक्टर -19 में नोएडा अथॉरिटी ने रिहायशी संपत्तियों में चल रहे 21 बैंकों को नोटिस दिया था। इसमें उनकी लीज रद्द करने की चेतावनी दी गई थी। इसके बाद मामला हाई कोर्ट में गया, जहां 2004 में इलाहाबाद हाई कोर्ट न अथॉरिटी के फैसले को सही करार देत हुए निर्देश दिया कि रिहायशी संपत्तियों म बैंक और नर्सिंग होम नहीं चल सक ते। आर. के . मित्तल और अन्य ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।