चक्कर में भगवान- किस किस से कहूं तथास्तु!

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फर्रुखाबाद: (दीपक शुक्ला)ईश्वर को किसी ने नहीं देखा लेकिन उस अद्रश्य शक्ति की उपासना की जाती है| इसकी वजह लोगों की सोच है कि ईश्वर सब जगह है व हमारी क्रिया कलापों को देख रहा है| लोग मानते हैं कि ईश्वर को पता है कि कब किसको उसकी जरूरत है| यह इंसान के अन्दर का डर है जो उसे किसी भी काम के शुभारम्भ से पहले ईश्वर को याद करने पर मजबूर करता है|

शायद इसी बजह से शायद लोग सुबह सवेरे घर या दुकान, मंदिरों, अदालत, थाने, कसाई खानों पर, शमशान पर यहाँ तक कि कफ़न की दुकान पर भी लोगों को अगरवत्ती व दिए जलाकर हाँथ जोड़े भगवान से प्रार्थना करते देखा जा सकता है| हर व्यक्ति अपने-अपने तरीके से भगवान से मन्नत मांगता है| लेकिन भगवान उसको पूरा कैसे करते होंगे यह बाकई में आश्चर्य कर देने वाला विषय है| इस बात को जानने के लिए कि आखिर हर व्यक्ति अपना प्रतिष्ठान खोलने के बाद आखिर क्या प्रार्थना करता है इसके लिए मेरे कई दिन खर्च हो गये | तब जाकर भगवान की इस समस्या का मुझे पता चल पाया|

  1. अदालत में क्या प्रार्थना होती है यह जानने के लिए मै ठीक 10 बजे अदालत के गेट पर अपनी फटफटिया लेकर पहुँच गया| वकील व उनके मुवक्किलों का आना शुरू हो गया था व नुक्कड़ दुकानदार अपनी-अपनी दुकानों के लिए जगह साफ़ कर रहे थे| मुझे अचानक गेट पर खडा देख बहुत पुराने व काविल वकील शर्मा जी अचानक तपाक से बोले अरे पत्रकार साहब आज यहाँ कैसे खड़े क्या कोई वारदात हो गई है| मैंने मन ही मन मुस्कराते हुए कहा कि वारदात तो अदालत में होती ही रहती है लेकिन उनकी बात का मैंने जवाब नहीं दिया| क्योंकि मै जानता था कि वकील साहब को मेरे यहाँ आने का कारण पता चल गया तो मेरा यहाँ आना ही बेकार चला जाएगा| वकील साहब हमें अपने बैठने के स्थान पर ले गये मै कुर्सी पर धपाक से बैठ गया और वकील साहब ने झाडू पोंछा करने के उपरान्त पास में भगवान के टंगे कलेंडर पर अगरबत्ती जलाकर मुंह में कुछ बुदबुदाए अनायास तभी मेरे कान अनायास ही वकील की तरफ बढ़ गये | लेकिन उनके बोलने का तरीका थोड़ा धीमा था| इस लिए मै समझ नहीं पाया| वकील साहब पूजा समाप्त कर अगरबत्ती हिलाते हुए अपनी कुर्सी पर बिराजे| मैंने अनायास ही पूंछ दिया कि वकील साहब भगवान से आज क्यां माँगा? वकील साहब जब तक कुछ समझ पाते उनके मुंह से ही निकल ही गया कि कुछ खास नहीं सिर्फ धंधे में बरकत की दुआ की है| मैंने फिर जबाव दागा कि धंधे में बरकत का मतलब कहीं आपका मतलब ज्यादा से ज्यादा लड़ाई झगड़े वाले लोगों को अपने पास बुलाने से तो नहीं या झगड़े और अधिक हो व मेरे पास आयें यह तो नहीं मांग लिया मैंने मुस्कराते हुए पूंछा ?अब वकील साहब जबाव भी क्या देते मेरा हाँथ दबाते हुए बोले अमा यार कुछ ऐसा ही समझ लो | कचहरी से आगे बढ़ चला…….. तो सामने एक क्लीनिक नजर आया |
  2. क्लीनिक पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था आपातकालीन सुविधा 24 घंटे उपलब्ध| डाक्टर साहब अंदर आये ही थे कि मै नमस्कार करता हुआ उनके चैंबर में घुस गया| डाक्टर साहब तपाक से बोले आईये पत्रकार साहब आज आपके दर्शन यहाँ कैसे हुए क्या बात है ? मैंने उनकी बात बीच में ही काटी और कहा कि कुछ नहीं आपसे मिलने का मन था सो चला आया| डाक्टर साहब इतनी बात कर अपने एक कर्मचारी को बुलाकर कहा कि क्यों वे आज यह बता कि ऊपर जो वार्ड खाली था वह भरा कि नहीं ? कर्मचारी बोला कुछ खास नहीं डाक्टर साहब बस चार लोग ही आये हैं|इस पर डाक्टर साहब नका भौंहे सिकोड़ते हुए बोले कि आजकल पूजा करने वालों की तो भगवान् भी नहीं सुनता| इतना कहते ही डाक्टर साहब उठ खड़े हुए व जूते उतारकर भगवान् के दरबार में हाजिरी लगाई| वह भी कुछ बुदबुदा रहे थे| अभी वकील साहब की समस्या का समाधान भगवान् नहीं कर पाए थे कि तब तक डाक्टर की अगरवत्ती की महक भगवान् के नाक में गयी| डाक्टर साहब जब पूजा समाप्त करके मुझसे बात करने लगे तो मैंने पूंछा कि डाक्टर साहब भगवान् से आपने क्या माँगा? तो डाक्टर साहब का भी वही जबाव था जो वकील साहब ने दिया था| मतलब धंधे में बरकत………| डाक्टर साहब की प्रार्थना का मतलब शायद था कि मेरा खाली पडा वार्ड मरीजों से लबालब भर जाए|अस्पताल से मै घटियाघाट की तरफ पहुंचा तो एक शमसान के पास लकड़ी की ठेके नजर आयी| जहां भीड़ लगी हुयी थी| मै वहां खडा हो गया| एक बीमा एजेंट अपनी पालिसी के बारे में ठेके के बारे में समझा रहा था जोकि मुर्दों के लिए लकड़ी बेंचता है| लकड़ी विक्रेता बीमा एजेंट से कह रहा था कि भाई अभी मै बीमा नहीं करा सकता देखते नहीं हो कि इस महीने भगवान् ने मेरी सुनी ही नहीं मेरा धंधा तो मरे हुए लोगों पर निर्भर है जितने मरेंगे मेरा धंधा उतना ही तेज चलेगा| भगवान् सुन ले इस बार दो चार सौ लोगों की मिट्टियाँ आ जाएँ तो आपका कम भी बन जाए|बगल में खड़ा कफ्फन दुकानदार इन लोगों की बातें बड़ी ध्यान से सुन रहा था| बीमा एजेंट ने जब कफ्फन वाले की तरफ ललचाई नजरों से देखा तो वह एजेंट के बोलने से पहले ही अपना दुखड़ा रो दिया| अरे भाई इनका व मेरा धंधा तो एक ही है| कफ्फन वाले ने मुस्कराते हुए कहा कि मेरा धंधा भी मरे लोगों पर निर्भर है| मुस्कराते हुए दुकानदार ने कहा कि मै तो डिस्काउंट भी चला रहा हूँ बड़े के साथ छोटे कफ्फन फ्री| लेकिन भगवान् मेरी दयालुता पर तरस नहीं खा रहा है इसलिए तो कोई खरीदने नहीं आ रहा है| शहर के चर्चित मंदिर में बैठे लम्बी दाड़ी जटाओं वाले पंडित जी भक्तों के आने से पहले ही भगवान् से सेटिंग करते नजर आये| हे भगवान् आज कोई मोटा मुर्गा फांस दो…… तभी एक बड़ी सी कार आकर रुकी तो पुजारी जी मन ही मन मुस्कुराकर बोले भगवान सबकी सुनता है लेकन इतनी जल्दी सुन लेगा ये मैंने कभी सोचा नही था| उसमे से एक नवविवाहित जोड़ा उतरकर आया तो पूजा अर्चना के बाद पुजारी जी के पैर छूने के बाद पांच सौ का नोट पुजारी जी की तरफ बड़ा दिया पुजारी जी ने थोडा धैर्य बनाते हुए यह नोट भगवान के चरणों में रख देने को कहा नवविवाहित जोड़े के चले जाने के बाद पुजारी जी ने लपककर पांच सौ का नोट अपनी जेब में रख लिया व फिर अपने मिशन पर लग गये| रूपए लेने के बावजूद भी पुजारी जी अमन व शान्ति की दुआ भगवान से करते है|
  3. पुलिस विभाग की क्या कहे कमाई वाले कुछ चौकी थाना में स्थानांतरण के लिए भगवान के अलावा मिनी भगवान( आला अधिकारी) से चापलूसी व प्रार्थना करते है घर पर भगवान की प्रार्थना करते हुए गाड़ी कमाई वाली चौकी थाना में स्थानांतरण के लिए तरह-तरह के लुभावने प्रलोभन देता है लेकिन एक ही जगह पर सौ आदमियों का स्थानांतरण कैसे हो इस बात को लेकर ऊपर वाला कैसे फैसले लेता होगा?……………
  4. जीवन बीमा कम्पनी सुबह प्रार्थना के समय अन्य लोगो से हटकर प्रार्थना करते है क्योकि जिसके पीछे मुख्य वजह कुछ और ही होती है क्योकि ये लोग ६०-६० रूपए में लोगो की लाखो रूपए की जिम्मेदारी ले लेते है कि अगर बंदे के साथ कोई बात हो जाती है दुर्घटना या मृत्यु तो सम्बंधित व्यक्ति को कम्पनी लाखो रूपए देगी| लाखो रूपए की क्षति के भय से सुबह सुगन्धित अगरबत्तिया लगाकर राम,रहीम की तस्वीरों के आगे प्रार्थना करते है कि हे भगवान हिंदुस्तान में किसी की मौत ना हो नही तो लाखो रूपए का चुना लग जायेगा|
  5. इतने सब लोगो की प्रार्थना को भगवान सुनकर हटी पाए थे कि एक पार्टी का प्रत्याशी भगवान के पैरों में आ गिरा और बोला अहम् नेतास्मी भारत की नइया का खेतास्मी जब-जब धर्म पृथ्वी पर बढने लगता है तब-तब धर्म के विनाश के लिए भ्रष्टाचार के विकास के लिए में पृथ्वी पर जन्म लेता रहता हूँ फिलहाल मैं आपकी शरण में हूँ प्रभु मेरा कष्ट हरलो दे सको तो विधायक की खुर्सी दे दो| एकाएक भगवान् के मुख पर अँधेरा छा गया पसीना आ गया क्योकि भगवन अब एक ने संकट में पड़ गए थे सत्ता धारी नेता उनके चढ़नो में पड़ा था|

इन कुछ फरियादियो की मिसाल ले ले तो हम सभी अपने दिमाग पर जोर डालने के लिए मजबूर हो जाते है कि वकील लड़ाई झगडे की प्रार्थना करता है तो वही डाक्टर अस्पताल में मरीज की बढोत्तरी की प्रार्थना व मरीज के स्वस्थ होने की कामना करता है| यहाँ तक तो कोई समस्या नही आई लेकिन तबतक शमशान पर लकड़ी बेचने वाला समस्या खड़ी कर देता है कि अगर लड़ाई झगडे वाले घायल व्यक्तियो को अगर डाक्टर सही कर देगा तो फिर लकड़ी वाले कि दुकानदारी कैसे होगी और अगर शमशान वाले कि अगर सुनता है तो जीवन बीमा कम्पनी मार्ग में रोड़ा बन जाती है व पुजारी जी दुआ भगवान के पैरों में जंजीर डाल देती है| अब पुजारी और बीमा कम्पनी की भगवान सुनता है तो पांच सौ एक का पुलिस का चढ़ावा भगवान को फैसला लेने में समस्या खड़ी कर देता है अब आप खुद विचार करे अगर आपको इतने सारे व्यक्तियों को खुश करना हो तो आप कैसे फैसला लेंगे?…….

वैसे ऊपर वाले ने सभी को उसके कर्मो के आधार पर फल देने का प्रावधान रखा है डकैत अगर किसी की जान लेने के लिए अगर पेट फाड़ता है तो कही दूसरी तरफ डाक्टर पेट फाड़ता है किसी की जान बचाने के लिए दोनों का उद्देशय अलग-अलग है व दोनों के कर्मो के आधार पर फैसले होते है डाक्टर को पेट फाड़ने के पैसे दिए जाते है और डकैत को सजा| “मेरे विचार से जैसा कर्म करोगे वैसा फल देगा भगवान” आपका विचार क्या कहता है हमें बताये?………………….