फर्रुखबाद: दुग्ध संघ के अध्यक्ष पद के लिये रविवार को हो रहे चुनाव के लिये शासन द्वारा नामित एक निदेशक बृह्मासरन जाटव की वैधता पर ही सवाल खड़े हो गये हैं। दुग्ध संघ के “बाईलाज” के अनुसार शासन द्वारा नामित निदेशक को कम से कम संघ से सम्बद्ध किसी प्रारंभिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति का अध्यक्ष होना आवश्यक है।
विदित है कि दुग्ध संघ पर संस्था के गठन से ले कर आज तक परोक्ष-अपरोक्ष रूप से कब्जा जमाये नागेंद्र सिंह राठौर व उनके परिवार का दखल समाप्त करने को बसपा नेताओं ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रखा है। बसपा से निष्कासन के बाद से “डिफेंसिव” चल रहे नागेंद्र सिहं व उनके भाई पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र सिंह ने स्वयं तो चुनाव नहीं लड़ा, परंतु इस बार भी कुल नौ निर्वाचित निदेशकों में से पांच नागेंद्र सिंह के साथ हैं। इन्हीं में से एक रमेश कठेरिया को उन्होंने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ाने की घोषणा कर रखी है। पहले तो पुलिस ने रमेश को उसके ही अपहरण की झूठी सूचना पर तीन दिनों तक मोहम्मदाबाद थाने में बैठाये रखा। मीडिया की सक्रियता के बाद रमेश छूटा तो उसके साथ सुरक्षा के नाम पर दो पुलिस कर्मी लगा दिये गये। अब शासन की ओर से एक नामित निदेशक के तौर पर बसपा नेता बृह्मासरन जाटव को भेजा गया है। जाहिर है कि गणित 5-5 का हो गया है। यदि किसी निदेशक ने भितरघात नहीं किया तो मामला कम से कम लाटरी तक तो आ ही सकता है।
मजे की बात है कि अब शासन द्वारा नामित निदेशक की वैधता पर ही सबाल खड़े हो गये हैं। बाईलाज के अनुसार निदेशक के तौर पर नामांकन के लिये प्रतिबंध है कि यह नामित निदेश “वित्तीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों, राजकीय, प्रादेशिक डेरी कोआपरेटिव फेडरेशन और दुग्ध संघ केंद्रीय सेवा के अधिकारियों, राजकीय दुग्ध उद्योग के विशेषज्ञों या सम्बद्ध अर्ह प्ररम्भिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के अध्यक्षों में से आयेंगे।” फिलहाल शासन द्वारा आनन फानन में नामित किये गये निदेशक बृह्मासरन जाटव के पास इनमें से कोई अर्हता नहीं है।
नागेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि यदि निर्वाचन अधिकारी ने नियम विरुद्ध नामित निदेश को निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लेने से नहीं रोका तो वह उनके विरुद्ध उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।
समाचार लिखे जाने तक अध्यक्ष पद के लिये एक ओर से रमेश कठेरिया ने व दूसरी तरफ से संतोष कुमार ने नामांकन दाखिल कर दिया है।