सर्व शिक्षा अभियान की दशा, आज आईं किताबें कल है परीक्षा

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फर्रुखाबाद: सरकार द्वारा चलाया गया ऐसा अभियान जिसमे कोई भी शिक्षा से वंचित न रहे| लेकिन जब छात्रों को किताबें तब मिलें जब दूसरे दिन परीक्षा हो तो छात्र परीक्षा में लिखेगा क्या?आप आने वाले भविष्य से क्या उम्मीद कर सकते हैं| बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने में कहीं न कहीं हम ही दोषी है|

वाक्या कुछ इस तरह है  . परिषदीय स्कूलों की तिमाही परीक्षाएं कल शुक्रवार से शुरू हो रही हैं लेकिन अभी तक बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें नहीं मिल पायीं है| सर्व शिक्षा अभियान ने जो नारा दिया है कि “सब पढ़े सब बड़े” लेकिन पढ़े तो तब जब किताबें मिले|

शिक्षा विभाग अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होने के लिए कल होने वाली परिषदीय परीक्षा में क्या किताबें बांटेगा| शिक्षा विभाग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बच्चों का भविष्य क्या होगा क्योंकि स्कूलों में अध्यापक खुद ही अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़कर गप्पें मारते रहते हैं जब शिक्षक ही समय से नहीं शिक्षा देंगे तो विभाग उनसे भी ज्यादा आलसी है| बच्चों के बस्ते शिक्षा की किताबों न मिलने की बजह से अभी तक खाली हैं| लेकिन मास्टर व साहब की जेबें तो भरी हैं|

ब्लाक कमालगंज के १८७ प्राथमिक विद्यालय व ९२ पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कल से तिमाही परीक्षाएं हो रही हैं| वहीं गुरूवार को स्कूलों में वितरण के लिए किताबें पहुँची| एबीएसए सर्वेश कुमार से पूंछने पर बताया कि तीन दिन पहले ही किताबें आईं है इसलिए अब वितरित की जा रही हैं|

सूत्रों के अनुसार वहीं कुबरीखेड़ा के स्कूल परिसर में बरसात में हुए गड्डे में मिट्टी डाल रहा चार वर्षीय दलित छात्र शिवम् जाटव व पिंकी से पूंछा गया तो मासूम बच्चों ने बताया कि हम तो प्रतिदिन स्कूल में झाडू भी लगाते हैं| जिससे बेसिक शिक्षा अभियान की हकीकत सामने आती है बच्चे पढने जाते है कि झाडू लगाने|