शिक्षा सत्र के दो माह बीत जाने के बाद भी नही पहुंची अधिकांश स्कूलों में किताबें

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शैक्षिक सत्र के दो माह बीत जाने के बाद भी कक्षा एक से आठ तक के सभी परिशदीय व सहायता प्राप्त विधालयों में निःशुल्क पाठय पुस्तकें उपलब्ध कराने की योजना अव तक पटरी पर नही आ सकी है। बेसिक स्कूलों में पढने बाले गरीब नौनिहालों के बस्ते में निःशुल्क पाठय पुस्तके शासन की नीति के अनुसार जुलाई के प्रथम सप्ताह यानी शिक्षण सत्र प्रारम्भ होते ही पहुच जानी चाहिए थी परन्तु भ्रश्टाचार और कमीशन खोरी के चक्कर में जिले में आपूर्ति कर्ता फर्म पहले तो देर में सप्लाई आधी अधूरी भेजती हैं और फिर जिले पर इनका सत्यापन होना भी टेडी खीर होता है ,इसके चलते गरीब नौनिहालों को पुस्तकें मिल ही नहीं पाती हैं। जनपद में विगत कई वर्षों से नौनिहालों के साथ बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी खिलवाड़ करने से नही चूक रहे हैं।

सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिशदीय विघालयों में पढने बाले गरीब नौनिहाल जिसमें सर्वाधिक अनुसूचित जाति के बच्चे होते है को  गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए नि:शुल्क पाठय पुस्तको में कार्यपुस्तिका कलरव,गिनतारा, रैनवों आदि पुस्तकें भी दिये जाने का प्रविधान शासन से है। जिसमें प्राथमिक स्तर पर कक्षा01 से 05 तक 38 प्रकार की तथा उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 06 से 08 तक 40 प्रकार की किताबों को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से विघालयो में जुलाई के प्रथम सप्ताह में बच्चों को उपलब्ध कराने के निर्देश हैं। परन्तु जनपद में दो माह बाद भी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मात्र दस प्रतिशत तक निःशुल्क पाठय पुस्तके ही बच्चों को उपलब्ध करवा सके हैं। कार्यपुस्तिका की तो कल्पना तक करना दूर है। बताते चलें विगत कई वर्षों से उर्दू की पुस्तके तो जिला मुख्यालय के कार्यालय की फाइलों में ही  कैद होकर रह गयीं। कई शिकायते हुई लेकिन जॉच के के अलावा कुछ नहीं हुआ। बच्चों को पूरें सत्र बिना किताबो के परीक्षा की खानापूरी कराकर शिक्षको ने  इतिश्री कर ली। उर्दू माध्यम में मदरसों में पढने बाले बच्चों के लिए  जुबान की किरण पुस्तके तो कई वर्षों से आयीं ही नही। जानकारी के अनुसार बिना आपूति के भुगतान जनपद स्तर से कमीशन के चलते हो रहा है।

वैसे तो प्रदेश में सरकार की मुखिया मुख्यमंत्री के ऐजेन्डा में प्राथमिक शिक्षा में सुधार तथा नौनिहालों को गुणवत्ता परक शिक्षा पर जोर दिया गया है, लेकिन जनपद मे अधिकारियों व कर्मचारियों की लपरवाही के चलते गरीब नौनिहालों को न तो निःशुल्क पाठय पुस्तके मिली और न ही महीने भर से ज्यादा बी0एल0ओ0 कार्य में ल्रगे होने के कारण शिक्षक, जिससे उनका भविश्य चौपट होता दिखाई दे रहा है।