फर्रुखाबाद: निजी स्कूल प्रबंधकों की मिलीभगत से बच्चों को भूसे की तरह सम्बद्ध रिक्शों, चारपहिया वाहनों, बसों आदि में ठूंस कर ले जाया जा रहा है। जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग व परिवहन विभाग विद्यालय संचालकों की इस मनमानी के आगे मूकदर्शक बने हुए हैं।
मंहगे स्कूलों में मोटी फीस देने वाले अभिभावकों के पास अपने बच्चों के साथ हो रहे इस कृत्य की तरफ देखने तक की फुर्सत नहीं है। अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को शिक्षा दे रहे इन स्कूलों में बच्चों को पहुंचाने के लिए रिक्शा, टैक्सी, बसों आदि की व्यवस्था स्कूल प्रबंधकों द्वारा किया जाता है। स्कूल तंत्र बच्चों के अभिभावकों से बच्चों को घर से स्कूल छोड़ने तथा उन्हं घर तक पहुंचाने के नाम पर शुल्क के रूप में खूब पैसा बटोर रहे हैं। कारण यह है कि लोगों के पास देने को पैसा तो है पर अपने बच्चों की देखरेख करने का वक्त नही हैं।
बच्चों की मातायें इनको इन वाहनों पर बैठाकर निश्चिंत हो जाते हैं। छोटे छोटे रिक्शों में दर्जनों बच्चों को ठूंस ठूंस कर भरते हैं और उनके बैगों को भी इधर उधर टांग देते हैं। वहीं चार पहिया वाहनों और बसों में भी बच्चों की ओवरलोडिंग की जाती है। मजे की बात यह है कि परिवहन विभाग में उन्हीं वाहनों का फिटनेस लेना आवश्यक होता है जो व्यावसायिसक कार्य में पंजीकृत हो या उनकी क्षमता सात से अधिकारी हो। बच्चों के जीवन के साथ हो रही खिलवाड़ को सभी लोग आंख बंद किये देख रहे हैं। परंतु जब कोई बड़ा हादसा होता है तो एक बार कुछ दिन के लिये सरगर्मी तेज हो जाती है। कुछ दिन बाद सब कुछ जस का तस होजाता है।