फर्रुखाबाद: जब दिल्ली में कृष्ण बाबू हजारे जिन्हें अब पूरी दुनिया ‘अन्ना’ के नाम से जानती है अनशन पर 12 दिन बैठे तब फर्रुखाबाद में इस आन्दोलन को सबसे ज्यादा साथ मिला वकीलों का| पहले दिन से अन्ना के समर्थन में सांकेतिक गिरफ्तारी के साथ शुरू हुआ समर्थन 12 दिन तक कोई न कोई कार्यक्रम करके वकीलों ने दिया| कभी हवन, तो कभी हड़ताल, ज्ञापन, मीटिंग और गोष्ठिओं के दौर चले| इसी बीच एक दिन कचहरी से आवाज आई कि अदालत में भ्रष्टाचार बंद करायेंगे वकील| अब जबकि अन्ना और जनता की कुछ मांगे मानने को देश की संसद तैयार हो गयी, अन्ना ने इसे आधी जीत कहा और अनशन समाप्त हो गया| मगर इसके साथ एक और एलान हो गया- भ्रष्टाचार के खिलाफ ये आन्दोलन जारी रहेगा और तब तक जारी रहेगा जब तक व्यवस्था में बदलाब नहीं आ जाता| सवाल यहीं से शुरू होता है- 12 दिन अन्ना के साथ तो चले मगर अब कितनी दूर चल सकोगे?
10 रुपये की रिश्वत बंद करा कर शुरुआत होगी?
अन्ना हजारे ने अनशन तोड़ने के साथ मंच से पूरे देश से आवाहन किया- अन्ना की टोपी लगाने से या खुद को अन्ना कहने से अन्ना नहीं बन जाओगे| अन्ना ने कहा- अन्ना बनना है तो न रिश्वत लेना है और न रिश्वत देना है| सवाल फर्रुखाबाद के वकीलों से है कि क्या वो कल यानि सोमवार 29 अगस्त 2011 को अदालत की शुरुआत होगी तो क्या वकील पहली रिश्वत बंद करा पाएंगे या बंद करेंगे| अदालतों पहली रिश्वत शुरू होती है 10 रुपये से| ये 10 रुपये की रिश्वत मुकदमा लड़ रहे मुवक्किल को मुंशी को मुकदमे की अगली तारीख लेने के लिए देनी पड़ती है| इस रिश्वत को वकील मुवक्किल से दिलवाते हैं| ये 10 रुपये की रिश्वत व्यवहारिक हो चली है| क्या इस पहली रिश्वत पर फर्रुखाबाद के अधिवक्ता को कल अगस्त की 29 तारीख नयी सुबह से बंद करा सकेंगे| क्या अन्ना की अगस्त क्रांति के साक्षी और सहभागी बन सकेंगा फर्रुखाबाद के वकील? हमें तो उम्मीद है, क्या आपको भी है?
जो भी अधिवक्ता या मुवक्किल इसकी शुरुआत करे वो जेएनआई को जरूर सूचित करे| चाहे फोन द्वारा या इसी वेबसाईट पर नीचे कमेन्ट लिखकर| और जो इस रिश्वत को दें उनसे भी यही उम्मीद है- वे भी सूचित करे और सच का सामना करें|
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पंकज दीक्षित
सम्पादक