कितने अफ़सोस की बात है कि फर्रुखाबाद जिले में एक भी नेता जो चुनाव लड़कर विधान सभा या लोकसभा में जाना चाहता है वो अन्ना के अनशन में शामिल नहीं है| यानि चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता भ्रष्टाचार मिटाने के पक्ष में नहीं है ये सभी चोरो के साथ है| और जो इक्का दुक्का नौटंकी कर भी रह रहे हैं वो भी सिर्फ मीडिया में छपने के लिए| क्या ये फर्रुखाबाद के भविष्य के लिए शुभ संकेत है| क्या हम एक बार फिर किसी ऐसे को चुनेगे जो हमें हमारे अधिकार दिलाने की जगह हमारे अधिकारों को लूटेगा|
ये बहस बड़ी है| तीन विधायक बहुजन समाज पार्टी के और एक समाजवादी पार्टी का| इन दलों के मुखिया मायावती और मुलायम सिंह यादव भी साफतौर पर जन लोकपाल के साथ नहीं है| ऐसे में हम मायावती या मुलायम से भले ही न पूछ सके कि आप लोग जन लोकपाल के साथ क्यूँ नहीं हो, मगर स्थानीय नेता जो सत्ता में है या फिर जो चुनाव लड़ने के लिए आजकल बाढ़ पीडितो के लिए रहत बटवाने में लगे है उनसे पूछ सकते है कि क्यूँ नहीं आप अन्ना के साथ है| और यदि हैं तो क्यूँ नहीं सड़क पर निकल कर अनशन कर रहे है?
जो सत्ता से बाहर हो गए या चुनाव हार गए क्या वो दुबारा केवल इसी बात को लेकर वोट पा जायेंगे कि सत्ता के लोगो ने जनता के साथ धोखा किया| जनता उनसे ये नहीं पूछेगी कि जब हमे धोखा दिया जा रहा था तब तुम कहाँ थे? अब वोट का टाइम आया तो दूसरो की बुराई कर वोट चाहते हो? जरा खुद के गिरेबान में झाँक कर देखो तुम भी उसी थैली के चाटते बट्टे नहीं हो क्या?
केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्सीद की पत्नी लुईस खुर्सीद खुद फर्रुखाबाद सदर विधान सभा से चुनाव में उतरने का एलान कर चुकी है| जाहिर है पत्नी के प्रचार में उनके पति सलमान खुर्शीद चुनाव में उनके लिए वोट मांगेगे| क्या लुईस खुर्शीद अन्ना के जन लोकपाल के समर्थन में है? क्या वो स्थानीय स्तर पर फैले भ्रष्टाचार से मुक्ति दिला पाएंगे? ताकि आम आदमी जो वोट तो उन्हें देता मगर अपना हिस्सा न मिलने पर उन तक नहीं पहुच सकता| बात भी व्यवहारिक है कि एक संसद जो देश का मंत्री हो एक एक समस्या सुन नहीं सकता| मगर तब क्या ऐसे ही हम लात खाते रहेंगे? क्या ऐसे लोगो को या फिर चंद लोगो को निजी मदद कर उसका प्रोमो बनाकर वोट की अपील की जाएगी|
फर्रुखाबाद की जनता इस पर अपनी आर्य जरुर लिखे-