नूरा कुश्ती: नर्सिंग होम संचालकों से स्टाफ का व्योरा तलब

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फर्रुखाबाद: एक महिला चिकित्सक की मौत के बाद चिकित्सा विभाग ने एक बार फिर अपनी बनावटी तंद्रा के टूटने पर उबासी लेने का नाटक शुरू किया है। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजवीर ने बताया कि जनपद में संचालित सभी निजी नर्सिग होमों से उनके यहां तैनात स्टाफ व सुविधाओं का व्योरा तलब किया गया है। एक सप्ताह के भीतर सभी समस्त स्टाफ को पहचान पत्र जारी करने के आदेश दिये गये हैं। एक सप्ताह बाद अभियान चला कर नर्सिंग होमों की जांच की जायेगी। यदि अनियमिततायें पायी गयीं तो कार्रवाई की जायेगी।

विदित है कि जनपद में संचालित चमचमाते नर्सिग होम व निजी अस्पतालों के भीतर जिस तरह की व्यवस्था है उसे यदि बूचड.खाना नहीं तो कम से कम अस्ताल तो नहीं कहा जा सकता। छोटे छोटे कमरों में एक दूसरे से लगभग सटे हुए पड़े बेड। उनके चारों तरफ पड़े स्टूल व बेंचों पर बैठे परिजनों को जमावड़ा। न परिजनों के मिलने का समय न ठहरने की व्यवस्था। हाईस्कूल या इंटर पास अप्रशिक्षित युवक युवतियों द्वारा न केवल इंजेक्शन से लेकर बैंडेज तक के काम कराये जाते हैं, यही स्टाफ कहीं कहीं तो बाकायदा मरीजों के आपरेशन में भी हाथ बंटाता है। आखिर इन अस्पतालों से मरीज कैसे जीवित बाहर आ जाता है, इसमें डाक्टर की कला से ज्यादा उसकी किस्मत  का भी दखल होता है। हर नर्सिंग होम में अकल्पनीय किराये पर एक छोटा सा काउंटर किसी दवा व्यवसायी को किराये पर दे दिया जाता है। जिसपर वह सस्ती दवायें मनमानी कीमतों पर बेचता है। अधिकांश नर्सिंग होम अपने फेंके जाने वाले बायो वेस्ट जिसमें खून व पीप से सनी पट्टियां व प्लास्टर तक सम्मिलित होते हैं, के कारण आस पड़ोस के लोगों के लिये भी सिरदर्द बने हैं। आवास विकास निवासी जीवालाल इसके जीवंत उदाहरण हैं। जिन्हों ने जमीन आसमान के कुलाबे मिला दिये परंतु आज तक पड़ोसी नर्सिंग होम का बाल तक बांका नहीं कर सके।

जाहिर है कि नियमो की धज्जियां उड़ा रहे यह नर्सिंग होम्स चिकित्सा विभाग की मिली भगत से ही चलते हैं। नियमों को लागू कराने के लिये जिम्मेदार चिकित्सा विभाग के अधिकारी काम के दबाव का बहाना बना कर बंधी बंधाई आमदनी की खातिर इनकी ओर से जान बूझकर आंखें मूंदे रहते हैं। दो दिन पूर्व सरकारी संविदा पर तैनात एक महिला चिकित्सक की एक निजी नर्सिंग होम में मौत व उसके परिजनो द्वारा इलाज में लापरवाही के आरोप लगाये जाने के बाद एक बार फिर चिकित्सा विभगा के अधिकारी इस बनावटी तंद्रा को तोड़ कर उबासी लेने का नाटक करते महसूस हो रहे हैं। एक बार फिर इन नर्सिंग होम्स के संचालकों को नोटिस की कवायद शुरू की गयी है। ऐसा कहने के पीछे तर्क यह है कि यदि  सचमुच अधिकारियों की मंशा कार्वाई की होती तो सीधे छापा मारी शुरू की जा सकती थी। इसमें किसी से अनुमति लेने की कोई आवश्यकता ही नहीं थी।

बहरहाल अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजवीर सिंह ने बताया कि सभी नर्सिंग होम संचालकों को एक सप्ताह का नोटिस दिया जा रहा है। एक सप्ताह बाद जांच प्रारंभ कर दी जायेगी। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. कमलेश कुमार ने बताया कि नर्सिंग होम्स के भीतर संचालित मेडिकल स्टोर्स के बारे में भी व्योरा मांगा गया है।