रिश्वतखोरी की शिकायत के एक महीनें बाद दारोगा लाइन हाजिर

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद:(अमृतपुर संवाददाता) योगी सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगानें की पूरी कोशिश कर रही है| लेकिन उसके बाद भी कानून के रक्षक गाहे -बगाहे सरकार की किरकरी करानें से बाज नही आते| कभी किसी जिले में पुलिस चांदी लूट में पकड़ी जाती है तो कहीं चोरी की बाइक पर फर्राटा भरते दारोगा जी नजर आ जाते है| जिससे सरकार और पुलिस की किरकिरी होना लाजमी है| सरकार के सख्त रवैये के बाद भी कई पुलिस कर्मी सुधरनें का नाम नही ले रहे| इसी तरह के एक मामले में दारोगा की रिश्वत लेनें की शिकायत हुई थी| जिसके लगभग एक माह बाद एसपी नें उसे लाइन हाजिर किया है|
दरअसल थाना अमृतपुर के ग्राम नगला हुसा निवासी मुकेश पुत्र राकेश का विवाद हुआ था| जिसमे मौके पर पंहुचे हल्का इंचार्ज अमित शर्मा नें मौके से मुकेश की बाइक अज्ञात में उठा कर खड़ी करा ली| जिसके बाद जब मुकेश अपनी बाइक लेनें दारोगा अमित शर्मा के पास गया तो आरोप है कि दारोगा नें 3000 रूपये की रिश्वत मांगी | जिस पर पीड़ित मुकेश नें एक हजार दारोगा को दे दिये| दो हजार रूपये ना होनें पर उसे उधार कर दिया| बाद में दरोगा अमित शर्मा नें आरोप है कि पीड़ित को फोन पर जेल भेजनें की धमकी भी दे डाली| पीड़ित नें सांसद मुकेश राजपूत से गुहार लगायी| सांसद के शिकायत के लगभग एक माह बाद आखिर दारोगा अमित शर्मा को लाइन हाजिर कर उसका दामन साफ कर दिया |
लाइन हाजिर कोई सजा नही! लाइन हाजिर पुलिस की एक ऐसी कार्यप्रणाली जिसमें की जब कभी पुलिस कर्मी कोई गलती करता है या ड्यूटी में कोताही बरतता है या फिर ड्यूटी के दौरान कुछ गंभीर आरोप लगाते है। तो उसके उच्च पदाधिकारी उसपर विभागीय कार्यवाई कर जवाब तलब हेतु उसकी ड्यूटी वहाँ से हटाकर ‘लाइन’ अर्थात मुख्यालय भेज देते है।  जहाँ उस पर जाँच बैठाई जाती है व स्पष्टीकरण देने को कहा जाता है। और इस दौरान उसे न ही छुट्टी दी जाती है और न ही उसे अन्य पुलिस कर्मियों की तरह काम दिए जाते है। ऐसी अवस्था में, उसे पुलिस लाइन्स में, जो कि पुलिस कर्मियों के रहने की बैरक्स होती है, उनमें रहने को कहा जाता है।