फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) यूपी के क्द्दबर बीजेपी नेता रहे स्वर्गीय ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में हाई कोर्ट नें कुख्यात संजीव उर्फ जीवा व सपा के पूर्व विधायक विजय सिंह को 26 मई 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी| तब से दोनों जेल में हैं| दरअसल पूर्व मंत्री की हत्या की विवेचना सीबीआई नें की जिसके बाद पता चला था की हत्याकांड में जीवा भी शामिल है|
बीते 10 फरवरी 1997 को भाजपा नेता एवं पूर्वमंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सपा के पूर्व विधायक विजय सिंह और संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को नामजद कराया गया था। वर्ष 2003 में ट्रायल कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट के निर्णय के खिलाफ जीवा ने हाईकोर्ट में अपील की थी। 26 मई 2017 को हाईकोर्ट ने उसकी अपील खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट की सुनाई गई सजा पर मुहर लगा दी थी। मूलरूप से शामली जनपद के आदमपुर निवासी संजीव माहेश्वरी व पूर्व विधायक विजय सिंह का नाम अपराध के फलक पर पहली बार ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद आया था। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में करीब 50 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।
सीबीआइ के शिकंजे में फंसा जीवा
ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड की विवेचना सीबीआई ने की थी। इसी जांच में यह पता चला था कि संजीव भी इस हत्याकांड में शामिल था। मेरठ में 22 अप्रैल 1997 को सीबीआई ने संजीव को पिस्टल और कारतूसों के साथ गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद द्विवेदी की हत्या में प्रयुक्त की गई बुलेट के खोखे और संजीव की पिस्टल की फोरेंसिक जांच से यह स्पष्ट हो गया कि द्विवेदी को जो गोली मारी गई, वह गोली संजीव के पिस्टल से ही चली थी। इसी के बाद इस मामले में उसे आरोपी बनाया गया। पिस्टल का साक्ष्य ही संजीव को आजीवन कारावास का आधार बना।