फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) रविवार को वारसिया मस्जिद लाल गेट से मिलाद ए मौला अली का जुलूस अपने रिवायती अंदाज में पूरी शानो शौकत के साथ शुरू हुआ। जुलूस में तीन मरकजी गाडियां,पांच घोड़े,सबसे आगे राष्ट्रीय तिरंगा झंडा और पीछे हरे रंग के इस्लामी झण्डे लहराते हुए चल रहे थे।
शहर काजी मुताहिर अली की सदारत में चल रहे जुलूस में मुख्य मरकजी गाड़ी में कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष सैयदआफताब हुसैन,सुनहरी मस्जिद के मौलाना सैयद मेराज अली जाफरी,पप्पन मिया वारसी,मौलाना सैयद फरहत अली जैदी विराजमान थे। घूमना बाजार में मौ सैय्यद मेराज अली जाफरी ने तकरीर सुनहरी मस्जिद ने कहा कि हजरत अली हमारे आखिरी रसूल हजरते मुहम्मद मुस्तफा के चचा जात भाई व दामाद है और अल्लाह के घर में पैदा होने का शरफ किसी भी नवी व रसूल को नहीं मिला है न उसके बाद कोई कावे मे पैदा हुआ,वाहिद ये शरफ मौला अली को मिला।
घुमना बाजार में इस्लाम चौधरी, इखलाक खा का इस्तकबाल आफताब हुसैन ने किया।जब जुलूस चौक पहुंचा तो वहा पर सीओ सिटी प्रदीप कुमार ,कोतवाली प्रभारी बिनोद कुमार शुक्ला,अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ, ज्ञानी गुरुवचन सिंह, डा० अरविन्द गुप्ता,रामकिशन राजपूत संजय गर्ग का शाल ओढ़ाकर स्वागत पप्पन मिया वारसी ब आफताब अहमद ने किया। जुलूस पक्का पुल पहुंचा ,मौलाना फरहत अली जैदी ने फरमाया कि अल्लाह ने अपने नबी के बाद सारी ताकते हजरत अली को बक्शी।हजरत अली की विलादत कावे में हुई और शरीके हयात हमारे नबी की इकलौती बेटी जनाबे फातिमा बानो अल्लाह ने जुल्फिकार अली के लिए भेजी ,आप यानि हजरत अली अव्वल इमाम और आपके ग्यारह बेटे भी इमाम बने।हजरत अली का जचा खाना काबा बना और उसके बाद अल्लाह ने कावे को नमाज के लिए किलबा बनाया। रास्ते में इब्राहिम आब्दी,अम्मार आब्दी,ईशान जैदी,रहवर जैदी,मुदस्सर काजमी ने कलाम पेश कर दाद बटोरी। बिलाल सफिकी और शहर काजी मुताहिर अली ने भी कलाम पेश किया।कारी मुक्त्यार आलम ने भी तकरीर पेश की। जुलूस पर रास्ते भर तोप से फूलो की वर्षा होती रही।कई जगह पर मिष्ठान वितरण हुआ। टाउन हाल तिराहा होकर जुलूस रकावगंज कला स्थित दरगाह हजरत अब्बास में संपन्न हुआ। जुलूस में मुन्नवर हुसैन,नफीस हुसैन, मोहम्मदहुसैन,जावेद,फिरोज,इंतजार,आलम आब्दी,परवेज हुसैन,तौकीर,मुंतजिर जैदी, लायक हुसैन,यूसुफ अली जैदी सहित सैकड़ों लोग जुलूस में शामिल रहे।