यूपी के नोएडा स्थित भट्टा पारसौल गांव में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के पहुंच जाने और किसानों की मांग के समर्थन में धरने पर बैठ जाने से प्रदेश की बसपा सरकार के तो हाथ-पांव फूले ही, दूसरी पार्टियों को भी जोर का झटका लगा है। बीजेपी और समाजवादी पार्टी इसे नौटंकी करार दे रही हैं। दोनों का कहना है कि ये कांग्रेस और बसपा की मिलीभगत का नतीजा है कि उनके नेताओं को रोक दिया गया जबकि राहुल गांधी को भट्टा पारसौल जाने दिया गया।
गौरतलब है कि भट्टा पारसौल में किसानों-पुलिस के बीच हुई संघर्ष के बाद राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजीत सिंह, समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी मौके पर पहुंचने की कोशिश की। लेकिन दलबल के साथ पूर्व घोषणा करके गांव जा रहे इन नेताओं को पुलिस ने मुख्य रास्ते में ही रोककर हिरासत में ले लिया और वापस भेज दिया। दूसरी ओर राहुल गांधी एक बाइक पर बैठकर तड़के के अंधेरे में खेतों के रास्ते से होकर गांव पहुंच गए। राहुल ने किसानों का दर्द सुना और इसके बाद वे वहीं धरने पर भी बैठ गए। सुबह से शाम हो चुकी है लेकिन राहुल का धरना जारी है। उनके साथ कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह भी धरने पर बैठे हैं।
राहुल के इस दांव पर गुस्साए बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि मेरी सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह से अपील है यूपी जैसे बड़े राज्य को लेकर नौटंकी नहीं की जानी चाहिए। सोनिया जी दोनों नेताओं को वापस बुलाएं। उन्होंने सवाल किया कि यूपी में बीएसपी सरकार ने जो हालात पैदा कर दिए हैं क्या उसमें पीएम यूपी सरकार के खिलाफ कोई प्रभावी कदम नहीं उठा सकते? क्या भारत का संविधान उन्हें कोई प्रभावी कदम उठाने से रोकता है?
राजनाथ ने कहा कि धरने में कांग्रेस-बीएसपी की मिलीभगत है। ये मिलीभगत पीएसी की बैठक में भी देखी गई जहां भ्रष्टाचार जैसे मसले पर सपा और बसपा कांग्रेस के साथ खड़ी हो गईं। मायावती को सीएम बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें इस्तीफा देना चाहिए और यूपीए सरकार को यूपी के बारे में गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।
वहीं समाजवादी पार्टी के महासचिव मोहन सिंह ने भी कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया दी। सिंह ने कहा कि राहुल गांधी का धरने पर बैठने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कार्रवाई कर सकती है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। धरना तो विपक्षी दलों का अधिकार है लेकिन केंद्र की सत्ताधारी पार्टी का नेता ही धरने के नाम पर नाटक कर रहा है। उनका कहना है कि ऐसा तो अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ था कि किसानों को सरेआम मारा गया और सरकार चुप है। लोग घर छोड़कर भाग गए किन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।