दो वर्षो में 180 नमूनों में केबल 42 पर ही हुआ मिलावाट का मुकदमा

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milavtफर्रुखाबाद: वैसे जिस दिन तत्कालीन जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी ने एक इतिहासिक छापेमारी लिंजीगंज बाजार में कराई थी तो धी तेल की ना जाने कितनी ही दुकानों पर मिलावट का साम्राज्य पाया गया था| कुछ भाग गये तो कई को जेल की हवा खानी पड़ी थी| वही बिना आला अधिकारियो के आदेश पर या बिना मिडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद ही खाद्य विभाग के अधिकारी सेम्पल भरने के लिये अपने कार्यालय से नही निकलते| और निकलते भी है तो आधे से अधिक दुकानदारों के पास पहले ही फोन हो जाता है कि साहब सेम्पल लेने आ रहे है| जिस पर पहले से ही पूरी तैयारी कर ली जाती| और फिर भरा जाता है सैपल| और बाद में उसका क्या होता है आज तक पता नही चलता| आरोप है कि दुधिया के दूध के सैपल पर भरने के बाद उसे फोड़ने के 3000 से 4000 रुपये की धन उगाई कि जाती है|

विभाग से मिले आंकड़ो के अनुसार बीते वर्ष 2014 -15 में जनपद में विभिन्य खाद्य सामिग्री के कुल 118 नमूने लिये गये| जिसमे से केबल 28 केबल 28 नमूनों में मिलावट पायी गयी| जिनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया| इसके साथ ही साथ 23 मुकदमे में फैसला आया| जिसमे नौ लाख 92 हजार रुपये की धनराशि बसूली गयी| पांच मुकदमे अभी भी अदालत में चल रहे है|

इसके साथ ही साथ वर्ष 2015 -16 में कुल 62 नमूने विभिन्य दुकानों से भरे गये| बाद में केबल 14 दुकानदारो पर मिलावट करने का मुकदमा दर्ज किया गया| जिसमे से आठ मुकदमो का निस्तारण हो गया जबकि 6 मुकदमे अभी भी एडीएम व एसीजेएम के कोर्ट में लंबित है| होली, दीपावली या कोई अन्य त्योहार आने से कुछ दिनों पहले ही मिडिया मिलावट खोरो के कपड़े उतारने का काम शुरू कर देती है| जिसके बाद खाद्य विभाग नमूना भरना शुरू कर देता है| लेकिन मजे कि बात यह है कि मिलाबट करने वाले कुछ चिन्हित लोगो को ही जेल में जाना पड़ा वह भी तब जब बड़े अधिकारी सक्रिय हुये|