काश! यूपी, बिहार हो जाये..

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जब चारो तरफ भ्रष्टाचार का सम्राज्य हो, नीचे से ऊपर तक लूट खसोट में व्यस्त सरकार हो, गूंगे बहरे निजाम और प्रशासन से चर्चा करना भी बेकार हो तब ये सोचा जा सकता है कि काश! एक बार यूपी भी बिहार हो जाये| जनता जाग जाए और चोर डकैत टाइप नेता भाग जाए| इन्हें जनता ही भगा सकती है ये पक्की बात है|

दो महीने पहले तक देश के कोने कोने में जब भी जनता को चोरो, भ्रष्टाचारियो और बेकारी के बारे में बात करनी होती थी वो तीन अक्षर का नाम ले देते थे और इशारो ही इशारो में बात पूरी हो जाती थी, वो तीन अक्षर थे “बिहार”| मगर जब अति हो गयी और बिहार की जनता भी पूरे देश में इस अपमान से आजिज आ गयी तो फिर जाग गयी| चारा वारा खाने वाले नौटंकीबाज को एक बार नहीं दुबारा भी खदेड़ दिया|

पांच साल पहले उसने लालटेन बुझा कर नितीश को रौशनी करने की जिम्मेदारी दी बिहार की जनता ने| पांच साल में जनता ने परखा और नितीश को दुबारा मौका दिया, लालटेन फक्फका गयी, पंजा चरमरा गया| अगर नीतिश लालू के नक्शेकदम पर चले होते तो नीतिश का भी वही हाल होता जो लालू का हुआ|मौका देख नीतिश ने भ्रष्टाचार दूर करने के लिए पूरे देश में मिशाल पेश कर डाली, भ्रष्ट होती विधायक निधि पर तालालगवा दिया|

बात यूपी की चल रही है पिछले दस साल में देश का सबसे बड़ा बजट हजम करने वाला राज्य बदहाली के कगार पर है| न प्रयाप्त बिजली है न रोजगार| आज भी एक हजार से अधिक बसे हर रोज यूपी के बेरोजगारों को दिल्ली तक ढोती है| गाँव में किसान को न समय पर बिना घूस के खाद है न बीज| बाढ़ और सूखा राहत की कई सौ रुपये के चेको को पटवारी बिना सौ का पत्ता लिए नहीं देता| कोटेदार तीन चौथाई राशन बाजार में बेच कर गाँव लौटता है| मिड डे मील का राशन और कन्वर्जन कास्ट प्रधान और अधिकारी बाट लेते है| मास्टर स्कूल में और डोक्टर ग्रामीण अस्पताल नहीं जाता, अलबत्ता दोनों को वेतन टनाटन मिलता है कुछ हिस्सा काट कर जो ऊपर तक जाता है| थाने चौकी आज भी यकजाई (हलके में गैरकानूनी काम करने वालो से वसूली वाली मद का पुलिसिया नाम) के भरोसे चलते है|स्कूल में बच्चो का बजीफा और शुल्क प्रतिपूर्ति मास्टर और स्कूल प्रबन्धक खाते है|

प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था रामभरोसे है, ग्रामीण इलाको में झोला छाप डाक्टर न हो तो आबादी कम करने के लिए परिवार नियोजन चलाने की जरुरत ही नहीं| तीन साल पहले भी 5000 डाक्टरों की कमी थी आज भी है ये खुद प्रदेश का सेहत मंत्री कहता है| विकास के तो कहने ही क्या पुल उदघाटन होते ही टूट रहा है| पियक्कड़ो की जमात में लगातार इजाफा हो रहा है, हर चौराहे तिराहे और गाँव गली तक देशी अंग्रेजी शराब पहुच गयी है| शराब पियो और बेकारी का गम भुलाओ, शराब की बिक्री न बढ़ी होती तो जनाब सरकारी नौकरों को वेतन के लाले भी पड़ जाते| तबादला उद्योग निति में बदलाब समय समय पर हो रहा है| बाई पास गैलेरी में बैठे कई काम करने वाले आईएएस और आईपीएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति जाने की कतार में लगे रहते है| अमीर और अमीर हो रहा है और गरीब का कोई पुरसाहाल नहीं| हाँ कागजो पर सब ठीक ठाक है|
हम तो बस यही कहेंगे बस एक बार यूपी भी बिहार हो जाए… आप का क्या ख्याल है…