रामपुर:यूपी के रामपुर में धर्म परिवर्तन मामले पर राजनीति गरमा गई है। इस मामले में सवालों में घिरे समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने चौंकाने वाला बयान दिया है। आज़म ने कहा कि अगर कोई देश उन्हें शरण दे तो वो देश छोड़ने को तैयार हैं। आजम ने कहा कि रामपुर में हो रही घटना के बारे में बेवजह मेरा नाम घसीटा जा रहा है। अगर लोगों को मुझसे दिक्कत है, तो मैं पूरे परिवार के साथ देश छोड़ने के लिए तैयार हूं।
ये है पूरा मामला
दरअसल, उत्तर प्रदेश के रामपुर में 80 दलित परिवारों ने धमकी दी है कि वो इस्लाम धर्म अपना लेंगे। ये परिवार एक मॉल के सामने बसी अपनी बस्ती हटाए जाने का विरोध कर रहे हैं। ये शॉपिंग मॉल रामपुर नगर निगम ने बनवाया है। निगम मॉल के सामने अवैध रूप से बसाई गई वाल्मीकि बस्ती तोड़कर वहां पार्किंग बनाना चाहता है। वाल्मीकि समाज के लोगों की दलील है कि अगर वो इस्लाम धर्म कबूल कर लेंगे तो स्थानीय विधायक और सूबे के कद्दावर मंत्री आजम खान उनके घर टूटने से बचा लेंगे।
आमतौर पर शांत रहने वाले रामपुर के तोपखाने इलाके में इन दिनों गहमागहमी तेज है। तोपखाना इलाके में बने नए मॉल के सामने वाल्मीकि समाज के कुछ लोग धरने पर हैं। इन लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन उन्हें यहां से हटाने पर आमादा है। ताकि यहां पर मॉल के लिए पार्किंग बनवाई जा सके। वाल्मीकि बस्ती के 80 परिवारों का कहना है वो यहां 60 साल से रह रहे हैं। अब अगर उनके मकान तोड़े गए तो वो कहां जाएंगे।
आपको बता दें कि यूपी सरकार में मंत्री आजम खान रामपुर के विधायक हैं। पूरे शहर में उनकी तूती बोलती है। यही वजह है कि वाल्मीकि बस्ती के लोग अपना धर्म बदलकर मुसलमान बनना चाहते हैं ताकि उन्हें भी आजम खान की सरपरस्ती मिल सके। बस्ती के लोगों का कहना है कि बस्ती के सारे लोग इस्लाम धर्म कबूल कर लेगें ताकि सूबे के मंत्री आजम खान को उन पर तरस आ जाए और वो उनका आशियाना टूटने से बचा लें। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा है।
एसडीएम एमपी सिंह का कहना है कि प्रेस रिलीज़ जारी करके पहले ही कहा जा चुका है कि घर अभी नहीं तोड़े जाएंगे, लेकिन वाल्मीकि समाज का कहना है कि ऐसा लिख के दिया जाये कि कभी नहीं तोड़े जाएंगे तो ऐसा मेरे अधिकार में नहीं है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वाल्मीकि बस्ती 60 साल पुरानी है। और वो कई सालों से हाउस और वॉटर टैक्स भी भर रहे हैं। लोगों का दावा है कि उनके मकान बाकयदा नक्शे पास कराकर बनाए गए हैं। ऐसे में उन्हें अवैध बताकर तोड़ना पूरी तरह गैरकानूनी है।
वाल्मीकि बस्ती के लोगों का कहना है कि उनके मकान कानूनी हैं। जबकि स्थानीय प्रशासन इन मकानों को गैरकानूनी बता रहा है। लेकिन कानून की इस लड़ाई में मजहबी रंग भी घुल गया है। प्रशासन का कहना है कि बस्ती के लोग मजहब के नाम पर ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं। जिसे किसी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता।