लखनऊ: बदायूं के मूसाझाग थाना प्रांगण में बने आवास में सिपाहियों के सामूहिक दुष्कर्म कांड को अभी महीना भर भी नहीं बीता है। अब बदायूं की उझानी कोतवाली का कांड चर्चा में है। यहां तैनात एक सिपाही ने खाकी को शर्मसार कर दिया। कोतवाली परिसर में तीसरी मंजिल पर बने आवास में छात्रा को ले गया। मनमानी का विरोध किया तो उसे तीसरे मंजिल से फेंक दिया।
इसके बाद गंभीर रूप से घायल छात्रा बरेली के निजी अस्पताल में भर्ती है। पीडि़ता की मां की शिकायत पर डीआइजी ने आरोपी निलंबित कर दिया है। उसके खिलाफ जानलेवा हमले की रिपोर्ट दर्ज की गई है। लापरवाही के लिए कोतवाल रामसूरत सिंह यादव को भी लाइन हाजिर किया गया है।
यह प्रकरण तो बुधवार रात की है, मगर उसने तूल कल पकड़ा। आरोप है, उझानी कोतवाली में तैनात सिपाही गौरव टाइटलर यहां पंजाबी कॉलोनी में रहने वाली इंटर की छात्रा को शादी का झांसा देकर काफी समय से बरगला रहा था। बुधवार रात गौरव इस छात्रा को बहला-फुसलाकर कोतवाली प्रांगण में अपने कमरे में ले गया। उसने कमरे में मनमानी करनी चाही लेकिन विरोध पर ब्लैकमेल करने की धमकी की। छात्रा इस पर भी नहीं मानी तो पीटना शुरू कर दिया। बचाव में छात्रा ने चाकू उठाया तो सिपाही ने अपने तीन मंजिला कमरे से उसे नीचे फेंक दिया। राहगीरों ने बेहोश छात्रा को उझानी के सामुदायिक केंद्र में भर्ती करा दिया। कुछ ही देर में सूचना पर परिजन भी पहुंच गए।
छात्रा के दो चाचाओं को फंसाया
पुलिस ने सिपाही को बचाने का फिर खेल किया। अज्ञात वाहन से घायल होना बताकर यह गंभीर मामला दबाने की कोशिश की। पीडि़ता की मां पहुंची तो पुलिस ने उसके दो देवरों पर कातिलाना हमले का मुकदमा दर्ज कर लिया। शुक्रवार को बरेली के अस्पताल में रेफर होने के बाद होश आने पर छात्रा ने अपनी मां को घटना बता दी।
डीआइजी ने की कार्रवाई
पीडि़ता की मां ने डीआइजी आरकेएस राठौर को सिपाही की करतूत बतायी। यह भी कहा कि पुलिस ने परिवारवालों पर ही मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस के रवैसे से खफा डीआइजी ने एसएसपी को मुकदमा तरमीम कराने के निर्देश देते हुए शनिवार को सिपाही को सिविल लाइंस कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराकर जेल भिजवाया। देर शाम उसे निलंबित भी कर दिया गया। उझानी कोतवाली में हुई घटना का मुकदमा सिविल लाइंस थाने में तरमीम कर दिया गया। यहीं सिपाही पर मुकदमा दर्ज हुआ।
रजामंदी से बात न बनी तो हैवान बना सिपाही
सिपाही गौरव टाइटलर बुधवार की रात किसी तरह से इंटर की नाबालिग छात्र को कोतवाली कैंपस के सरकारी क्वार्टर में लाता है। पहले बहलाकर अपनी मर्जी पेश करता है लेकिन बात न बनी तो वह दबंगई पर उतर आया। बकौल पीडि़त छात्र की मां, सिपाही ने अपनी बात मनमाने के लिए छात्र को काफी देर तक ब्लैकमेल किया। कमरे में बंद बेबस छात्र को धमकी दी गई कि वह बात नहीं मानेगी तो उसके परिवार को पुलिसिया जुल्म से कोई नहीं बचा सकता। उसकी इस धमकी का भी असर नहीं हुआ तो वह छात्र पर टूट पड़ा और पिटाई करने लगा। इसके बाद हत्या करने के इरादे से उसे तीन मंजिला छत से नीचे फेंक दिया। सवाल इस बात का है कि घटना कैंपस के अंदर ही हुई और पुलिस को भनक भी नहीं लगी। यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। इस मामले में भी थाने के अधिकारी उस सिपाही को बचाने में जुटे रहे। घटना कोतवाली कैंपस में हुई लेकिन पुलिस घटना को छिपाने का पूरा प्रयास करते रहे। दो दिन बाद छात्र बोली तो खाकी की करतूतों का पर्दाफाश हुआ। मंडलीय अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा तरमीम करने के आदेश दिए तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। शर्मसार करतूत ने फिर बदायूं पुलिस को सुर्खियों में ला दिया है।
उझानी कोतवाली के हालात तो लंबे समय से बिगड़े थे
उम्रदराज इंस्पेक्टर को प्रभार देने से वहां पर खाकी बेलगाम हो गई थी। अपराधी जहां ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दे रहे थे, वहीं पुलिस लूटखसोट करने में लग गए। मूसाझाग कांड हुआ तो सिपाहियों पर विशेष निगरानी के दावे किए गए, लेकिन कोई खास कार्रवाई किसी पर नहीं हुई।
मुकदमे में भी खेल कर गई पुलिस
घटना बुधवार की रात में घटी है। कोतवाली के अंदर हुई वारदात की वजह से पुलिस ने अपने ऊपर आंच न आने के लिए पैंतरेबाजी का खेल खेला। मनमर्जी से घटना का मजमून बदलते हुए पीडि़ता के ही दो चाचा को आरोपी बना दिया गया, इसके बाद आनन-फानन में छात्र को बरेली इलाज के लिए पुलिस ने भिजवाया। जहां छात्र के कुछ देर होश में आया तो उसने अपनी को सबकुछ बताया। जानकारी होने पर उसकी मां डीआइजी से मिली, डीआइजी के हस्तक्षेप पर उसे इंसाफ की राह मिली। पुलिस ने डीआइजी के आदेश के बाद भी संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज नहीं किया है। तहरीर में स्पष्ट किया गया है कि छात्र को बहला-फुसलाकर अपने कमरे में लाने के बाद सिपाही ने रजामंदी के लिए छात्र को काफी देर तक ब्लैकमेल किया।