नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देश के सबसे ताकतवर राजनेता बनकर उभरे हों, पूर्ण बहुमत से ज्यादा सीटों के साथ बनी केंद्र सरकार भले ही गठबंधन की मजबूरियों को इतिहास बना चुकी हो लेकिन बात जब विवादित मुद्दों पर कानून बनाने या कड़े फैसलों को अमलीजामा पहनाने की आती है तो मोदी सरकार लाचार नजर आती है।
वजह है लोकसभा में भारी भरकम बहुमत वाले एनडीए का राज्यसभा में अल्पमत में होना। अपनी इसी लाचारी से पार पाने के लिए बीजेपी एक के बाद एक राज्यों में भगवा परचम लहराने में जुटी है जो न सिर्फ पार्टी का सही मायने में राष्ट्रीय जनाधार खड़ा करेगा बल्कि राज्यसभा में भी संख्याबल के हिसाब से उसका पलड़ा भारी करेगा।
हाल ही में खत्म हुए संसद के शीत सत्र में मोदी सरकार ने पहली बार राज्यसभा में अल्पमत में होने के नतीजे झेले। एक तरफ जहां लोकसभा में शांतिपूर्ण ढंग से काम होता रहा, वहीं राज्यसभा में विपक्ष ने कभी विवादित बयानों तो कभी धर्मांतरण जैसे मसलों पर सरकार की नाक में दम किए रखा।
मोदी सरकार और बीजेपी इन हालात को बदलना चाहती है जिसका एकमात्र रास्ता है राज्यों में केसरिया पताका फहराना। हाल ही में बीजेपी ने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में जो सफलता पाई वो राज्यसभा में उसकी स्थिति को मजबूत करेगी क्योंकि ये राज्य कुल 34 सीटों पर सांसद चुनकर भेजते हैं।