कोलकाता: धर्म परिवर्तन पर देशभर में जारी विवाद को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी है। भागवत ने कोलकाता में एक कार्यक्रम में कहा कि घर छोड़कर गए लोगों को वापस लाने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। भागवत ने ये भी कहा कि अगर किसी को इसपर कोई आपत्ति है तो संसद में कानून बना ले। भागवत ने कहा कि संसद में कानून बनाने की बात कही गई तो लोगों को उसपर भी आपत्ति है।
मोहन भागवत ने कहा कि हमने संकल्प किया है और हिंदू समाज जब भी मन से संकल्प करता है तो उस संकल्प को अवरुद्ध करने की शक्ति दुनिया में किसी की नहीं होती क्योंकि हिंदू समाज का संकल्प किसी के विरुद्ध नहीं होता। सबके कल्याण का होता है। जब-जब हिंदू समाज की उन्नति होती है, दुनिया का कल्याण होता है।
भागवत ने कहा कि यहां पर हम लोग सम्मेलन कर रहे हैं। संत हमारे लिए संकल्प दे रहे हैं। उसमें सबके कल्याण की भावना है। उसके पीछे हमारा सबका संकल्प और बाहुबल खड़ा है। सज्जनों को समर्थन देने वाला, दुर्जनों को भय देने वाला हमारा संकल्प है। हम कहीं बाहर से नहीं आए, ये हमारे पूर्वजों के वंशज हैं। ये हमारा हिंदू राष्ट्र है। हिंदू जाग रहा है, किसी को डरने की जरूरत नहीं है। डरते वहीं हैं जिनके मन में पाप है। हिंदुओं ने कभी किसी को प्रताड़ित नहीं किया।
भागवत ने कहा कि अभी तक हिंदू सहन ही करता रहा है, लेकिन हमारे भगवान ने कहा है कि सौ से ज्यादा सहन भी नहीं करना। अब और कितना सहन करना? केवल हमें ही नहीं दुनिया को भी सहन करना पड़ता है। औरों के पास उपाय नहीं है लेकिन हमारे पास उपाय है। हिंदू जाग रहा है। हिंदू अपनी सुरक्षा उन्नति कर लेगा और पूरी दुनिया को सुख कल्याण का मंत्र हिंदू समाज देगा। मैं इस मंच से आप लोगों की ताकत से बोल रहा हूं। हम अपने भले के लिए नहीं, दुनिया के कल्याण के लिए जीने वाले लोग हैं।
भागवत ने कहा कि जो भूले-भटके विसार गए उन्हें वापस लाएंगे। हमारे में से ही ये लोग गए हैं। हमारा सामान चोरी गया हम उसे लें तो उसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। और अगर पसंद नहीं है तो कानून बनाओ। संसद ने कहा है कानून बनाओ लेकिन उनको उसमें भी आपत्ति है। हिंदू किसी के परिवर्तन पर विश्वास नहीं करता। हिंदू कहता है परिवर्तन अंदर से होता है, लेकिन हिंदू का भी परिवर्तन नहीं होगा। हिंदू इस पर खड़ा है, अड़ा है।
भागवत ने कहा कि गुरु तेगबहादुर का सिर काटा गया। बाद में देखा कि उनके एक कागज पर लिखा था कि सिर दे दिया सार नहीं दिया। हम सिर भी बचाएंगे और सार भी नहीं देंगे। हम दोबारा युगानुकूल संस्कृति देंगे। जब हम कहते हैं ये हमारा देश है तो इसका मतलब ये नहीं कि हम इसके मालिक हैं। हम कहते हैं कि ये मेरी मातृभूमि है।
भागवत ने कहा कि पाकिस्तान भी भारत भूमि है। 1947 में कुछ हुआ लेकिन ये स्थायी तो नहीं है। हिंदू को उठने नहीं दिया तो पाकिस्तान सुख में है क्या? जब तक हिंदू उठकर खड़ा नहीं होता तब तक भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को सुख नहीं है। जिनका स्वार्थ होगा वो विरोध तो करेगा ही, थोड़ा बहुत संघर्ष तो होगा। हम हिंदू हैं, हिंदू रहेंगे। हम हिंदुस्तान में संपूर्ण वैभव संपन्न हिंदू राष्ट्र खड़ा करेंगे, यहां बैठे लोगों की जवानी पूरी होने से पहले ये स्वप्न पूरा होगा ये मैं कहता हूं।