लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में खनन पट्टे देने या नवीनीकरण पर लगी रोक हटा दी है। कोर्ट ने इसके खिलाफ दाखिल याचिकाएं खारिज कर दी है। ऐसा आदेश राज्य सरकार के सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करने के कारण किया गया है। नए नियमों के अनुसार पट्टे के लिए पर्यावरण विभाग की अनापत्ति लेने की व्यवस्था की गई है।
मालूम हो कि हाईकोर्ट ने 16 सितंबर 14 को बालू खनन पट्टा दिए जाने पर रोक लगा दी थी और कहा था कि प्रदेश में न खनन पट्टा दिया जाएगा और न ही नवीनीकरण होगा। कोर्ट के इस आदेश के चलते 50 लाख कामगार बेरोजगार हो गए थे। याचिकाएं खारिज होने से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है।
यह आदेश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति श्री नारायण शुक्ल की खंडपीठ ने मुन्नी लाल व कई अन्य की याचिकाओं पर दिया है। महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह व स्थायी अधिवक्ता आलोक सिंह ने सरकार की तरफ से पक्ष रखा तथा कहा कि खनन के पट्टे सुप्रीम कोर्ट के दीपक कुमार केस के फैसले के आधार पर दिए गए हैं।
सरकार ने कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए उप्र माइनर एंड मिनरल कंसेसंस रूल्स 1963 में संशोधन कर दिया है। याचिका इस आधार पर पोषणीय नहीं है। याची का कहना था कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रही है जिसे कोर्ट ने नहीं माना और याचिका खारिज कर दी। नए नियम के अनुसार पर्यावरण विभाग की अनापत्ति के बाद ही खनन पट्टे देने या नवीनीकृत करने की व्यवस्था दी गई है। सरकार इन नियमों के तहत मिलने वाले आवेदनों पर ही पट्टे दे रही है।
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