क्या आप जानते हैं…कैसे बना हमारा ‘तिरंगा’

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आजादी से पूर्व देश में छोटी-बड़ी अनेक रियासतें थीं। रियासतों की पहचान उनके झंडे होते थे। दो रियासतों के मध्य संधि के समय झंडों का आदान-प्रदान किया जाता था, रायपुर में अभी तक तीन शासकों और हमारे वर्तमान तिरंगे का जिक्र मिलता है।

ऐसे बना हमारा राष्ट्रीय ध्वज

07 अगस्त 1906 में तिरंगे की तीन पट्टियां गहरी हरी, पीली और लाल रंग की थी और आठ सफेद कमल, सूर्य का चिन्ह और एक चांद-तारा समेत वंदे मातरम अंकित थे।

1907 में यह झंडा फ्रांस की मैडम भिखाजी कामा ने पेरिस में होने वाले एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में फहराया। यह झंडा पहले झंडे जैसा था, केवल इसमें एक सफेद कमल का फूल और सात तारे थे।

1916 मे यह होम रूल झंडा मिसेज एनी बिसेंट ने फहराया। इसमें पांच लाल और चार हरी पट्टियां, सात तारे और एक कोने में छोटा यूनियन जैक झंडे का चिह्न् अंकित था।

1921 मे यह कांग्रेस झंडा महात्मा गांधी जी ने प्रस्तुत किया। इसमें सफेद, हरी और लाल रंग की तीन पट्टियां और चरखे का चिह्न् था।

1931 में प्रस्तावित कांग्रेस झंडे का रंग केवल भगवा था। इसमे चरखे का चिह्न् अंकित था।

अगस्त 1931 में यह झंडा कांग्रेस ने अपनाया। इसमे भगवा, सफेद और हरी तीन पट्टियां और चरखे का चिह्न् था।

22 जुलाई 1947 को यह झंडा भारतीय विधान सभा ने अपनाया। इसमें चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक का धर्म चक्र अंकित है। तब से यही हमारा राष्ट्रीय ध्वज है।