फर्रुखाबाद: आज से सावन की शुरुआत हो रही है। जी हां, वही सावन जिसमें आसमान में घनघोर बादल झाए रहते हैं, रिमझिम बारिश होती है, पेड़ों पर झूले पड़े होते हैं, मोर-पपीहे कूकते हैं और मल्हार स्वर सुनाई देते हैं। लेकिन इस बार इस सावन को किसकी नजर लग गई। काले-काले बादलों की जगह आग उगलते सूर्य नारायण, बारिश की जगह गर्म हवाओं के थपेड़े और सूनी आम-नीम की डालें। न वो पपीहे के कूक और न मोरों की कैहों-कैहो। जब ये सब नहीं हैं तो महिलाओं के कंठ से मल्हार के गीत कैसे निकलें।
कहीं से लग ही नहीं रहा कि सावन का महीना शुरू हो गया है। जेठ के महीने की माफिक दोपहरी पड़ रही है। सूरज आग उगल रहा है। हवाओं में भी नमी नाम की चीज नहीं है। तापमापी पारा भी कुलांचे भर रहा है। आखिर इस बदरंग मौसम का सबसे ज्यादा खामियाजा धरती पुत्रों को भुगतना पड़ रहा है। खेतों में बारिश न होने के चलते ज्यादातर खरीफ की फसलों की बुवाई नहीं हो सकी है। नर्सरी में धान की पौध भी झुलस रही है। जब तक जोरदार बारिश नहीं पड़ जाती तब तक धान की रोपाई भी संभव नहीं है।
खेतों में खड़ी सूख रही फसलें
कुछ साधन संपन्न किसानों ने अपनी फसलों की बुवाई समय पर कर दी थी, वो फसल भी पानी के अभाव में खेतों में खड़ी-खड़ी सूख रही हैं। धान की पौध झुलस चुकी है। ज्वार, बाजरा, अरहर, धान आदि की फसलों की ट्यूबवेल से सिंचाई संभव नहीं है। ज्यादातर नहर, रजवाहे सूखे पड़े हैं। जो किसान अपनी फसलों को निजी संसाधनों से पानी दे भी रहे हैं वो किसी भी तरह फसलों को जिंदाभर रखे हुए हैं। जब तक बारिश नहीं होगी तब तक फसलों का पकना नामुमकिन है।
पारा 44 के पार
शनिवार को तापमान और अधिक हो गया। अधिकतम तापमान 42.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम पारा 30 डिग्री रहा। जबकि आर्द्रता महज 68 फीसद दर्ज की गई।
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