डेस्क: प्रदेश के करीब पौने दो लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने इस पर प्रदेश सरकार से जवाब मांग लिया है। शिक्षामित्रों के समायोजन को याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है।
याचिका में शिक्षामित्रों के समायोजन हेतु जारी सात फरवरी 2014 के शासनादेश पर रोक लगाने के साथ उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा (19 वां संशोधन) नियमावली 2014 और निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (प्रथम संशोधन नियमावली) 2014 पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।
शिक्षामित्रों की ओर से भी इस मामले में अपना पक्ष सुने जाने हेतु शामिल करने की अर्जी दी गई है। याचिका पर न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल सुनवाई कर रहे हैं। पीठ ने प्रदेश सरकार और शिक्षामित्रों से 19 जून तक अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
राज्य सरकार ने नहीं ली अनुमति
बीटीसी प्रशिक्षु शिवम राजन द्वारा दाखिल याचिका में शिक्षामित्रों के समायोजन को कई आधार पर चुनौती दी गई है। आधार लिया गया है कि 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने सहायक अध्यापकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसके अनुसार सहायक अध्यापक होने के लिए शिक्षक अर्हता के साथ ही टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। एचआरडी ने इसके तहत गाइड लाइन जारी कि यदि राज्य सरकार को एनसीटीई के नियमों में कोई छूट चाहिए तो उसे केंद्र से अनुरोध करना होगा। प्रदेश सरकार ने केंद्र से कोई अनुमति लिए बिना 14 जनवरी 2011 को एनसीटीई को प्रस्ताव भेजा कि शिक्षामित्रों को बेसिक टीचर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रस्ताव को एनसीटीई ने मंजूरी भी दे दी।
हाईकोर्ट ने प्रशिक्षण पर लगाई रोक
यह मामला भी उठाया गया कि शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लंबित है। एकलपीठ ने पहले प्रशिक्षण पर रोक लगा दी थी जिसके खिलाफ विशेष अपील हुई। 30 मई 2011 को खंडपीठ ने स्थगन आदेश को रद कर दिया तथा मामले को पुन: निस्तारण के लिए एकलपीठ के समक्ष भेज दिया है। खंडपीठ ने यह भी कहा है कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण का मामला एकल न्यायपीठ द्वारा याचिका पर दिए अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने सात फरवरी 2013 को शासनादेश जारी कर शिक्षामित्रों के समायोजन का निर्देश जारी कर दिया।
सरकार का निर्णय सही
शिक्षामित्रों के वकील अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार आरटीई एक्ट 2009 के प्रावधानों तथा एनसीटीई की अधिसूचना के पैरा चार के तहत शिक्षा मित्रों का समायोजन कर रही है जो नियमानुकूल है। एनसीटीई के अधिवक्ता रिजवान अजी अख्तर ने भी एनसीटीई का पक्ष रखा। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों की तैनाती का प्लान तैयार कर लिया है और जून के अंत तक इनके समायोजन की बात कही है।
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