डेस्क: नए सत्र से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि मुख्यालय कोषागार से सीधे छात्रों के खातों में भेजी जाएगी। पारदर्शिता लाने के लिए नई व्यवस्था लागू करने पर सहमति बनी है। अभी तक जिलास्तरीय अधिकारियों के माध्यम से छात्रों के खाते में रकम भेजी जाती थी। शासन का मानना है कि गड़बड़ियां रोकने के लिए यह कदम उठाना जरूरी है।
उत्तर प्रदेश में हर साल दसवीं से ऊपर की कक्षाओं के 40 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति के साथ ही छात्रवृत्ति दी जाती है। सत्र 2014-15 में यह तादाद बढ़कर 45 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। अभी तक लागू व्यवस्था में उपलब्ध बजट के आधार पर रकम जिलों को भेज दी जाती थी।
वहां से जिलास्तरीय अधिकारियों के मार्फत राशि छात्रों के खातों में भेजी जाती थी, लेकिन पिछले सत्र में कई जिलों में भारी वित्तीय अनियमितताएं और घपले सामने आए। कई समाज कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारियों ने इस मद की राशि नोशनल एकाउंट के बजाय नया एकाउंट खुलवाकर उसमें ट्रांसफर कर दी और बाद में इस राशि की बंदरबांट कर ली गई।
इस स्थिति से बचने के लिए नए सत्र से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि मुख्यालय ट्रेजरी से ही सीधे छात्रों के खाते में भेजने का फैसला लिया गया है। समाज कल्याण विभाग के एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नई व्यवस्था लागू करने में कोई दिक्कत नहीं आए। इसलिए 15 जुलाई तक सभी संस्थानों से मास्टर डाटा बेस में शामिल होने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने को कहा गया है।
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