फर्रुखाबाद : फतेहगढ़ सिविल लाइन के निकट स्थित पुराने चकबंदी कार्यालय में अचानक आग लग गयी इ जिसमे पुराने अभिलेखों के साथ साथ फर्नीचर भी जल कर खाक हो गया | मामले के पीछे भवन को खाली कराने का मामला बताया गया है |
बीते चार महा पूर्व डीएम के आदेश पर चकबंदी दफ्तर कलेक्ट्रेट में आ गया था | लेकिन दफ्तर में पुराने अभिलेख अभी भी भरे थे | भवन को आठ महा पूर्व ज्ञानेंद्र सिंह उर्फ़ छोटे ने अपने एक सहयोगी के साथ मिल कर ख़रीदा था | भवन के अन्दर बंदोबस्त के हिसाब के साथ साथ कर्मचारियों की पत्रावलिया ,सेवा निवृत कर्मचारियों से संबधित अभिलेख और बंदोबस्ती रिकॉर्ड भी रखा था|
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दोपहर बाद अचानक बंद पड़े दफ्तर में आग लग गयी| जिससे उसमे रखे फर्नीचर के साथ सभी अभिलेख जल जल कर खाक हो गये | सूचना मिलने पर फायर पुलिस मौके पर पहुची और जैसे तैसे आग पर काबू पाया | घटना के समय चकबंदी अधिकारी राम किशोर मौके पर नही थे | भवन की चावी चकबंदी सीओ मन्नीलाल के पास थी |
चकबंदी सीओ मन्नीलाल ने बताया की घटना के सबंध में अज्ञात लोगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है | आग किसी ने जान बूझकर कर लगायी है | धटना में अभिलेखो के अलावा कंडम फर्नीचर जला है |
भू माफियाओ से मिली भगत के चलते अभिलेखो को गायब करने की साजिश
चकबंदी कार्यालय में आग लगने की घटना के पीछे भू-माफिया और विभागीय कर्मचारियों की मिली भगत को मुख्य कारण समझा जा रहा है। इस पर फिलहाल विभागीय अधिकारी मुंह नहीं खोल रहे हैं। प्रभारी चकबंदी अधिकारी नष्ट हुए सामान व अभिलेखों की सूची तैयार करने की बात कह रहे हैं।
जबकि चकबंदी विभाग के कर्मचारी इसके पीछे कोठी के नये मालिकों की साजिश बता रहे हैं। कर्मचारियों की मानें तो कोठी खाली कराने के लिए आग लगाई गयी है। उनका कहना है कि कभी उजाड़ सुनसान सी पड़ी रहने वाली तिर्वा कोठी के आसपास की जमीन के भाव आजकल आसमान छू रहे हैं। इससे पूर्व वर्ष 1996 में भी चकबंदी कार्यालय में आग लग चुकी है। तब यह कार्यालय कलेक्ट्रेट के पास सिविल लाइन स्थित फूस बंगले में हुआ करता था। तब भी काफी अभिलेख नष्ट हुए थे। उस समय उस जमीन के रेट भी तेजी से बढ़ रहे थे। आज वहां पाश कालोनी विकसित हो चुकी है।