फर्रुखाबाद: यथा राजा तथा प्रजा कुछ कहावत कभी कभी सटीक बैठती है| सरकार जिसके हुक्म से चलती है वही अगर डायरेक्ट हाजिरी की जुगाड़ है तो बीच वाले को सलाम क्यों? कम से कम फर्रुखाबाद पुलिस महकमे में ये कहावत सही बैठती है| एक दरोगा ने कप्तान साहब का हुक्म माना तो उसका उस इलाके के विधायक ने तबादला करा दिया| अब कोतवाल और थानेदार किसकी बात माने इस पच्चर में फसना नहीं चाहता| बजरंगबली का हुक्म बजाने की जगह सीधा रामजी के हुक्म की तामील ज्यादा असरदार है|
पुलिस क्राइम मीटिंग में पुलिस कप्तान आर पी पाण्डेय दरोगाओ पर बरस रहे थे| दो महीने पहले अभियान चला कर नीली लाल बत्ती और गाडियो से काली फ़िल्म उतारने के लिए अभी थानेदारो और कोतवालों से कहा गया था| मगर आदेश का पालन किसी ने नहीं किया| न जाने क्या सोच कर कमालगंज थानाध्यक्ष दिलेश कुमार ने कुछ अभियान चलाया था| बाकी किसी ने नहीं चलाया| कप्तान साहब मीटिंग में दुखड़ा रो रहे थे या फिर मीटिंग दे रहे थे समझ में नहीं आया| बोले ऊपर से आदेश का पालन करने के लिए लिखा जाता है उसका भी अनुपालन नहीं होता| कप्तान साहब कह रहे थे और थानेदार एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल रहे थे| गुस्सा होते हुए बोले कि अगर तुम लोग जनता की सुनो तो लोग हमारे पास क्यों आये|
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बेचारे कप्तान साहब| अब ज्यादातर थानेदार और कोतवाल तो खादी के हुक्म से कुर्सी पाते है तो खाकी की कौन सुने| सीधे दरबार में जुगाड़ सही रहती है| जहाँ से तुम चलते हो वहीँ अपनी भी चलती है| तो फिर क्यों माने?
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