अब मदरसों को अनुदान से पहले सख्‍त जांच

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madrasa - rajepur saraymedaलखनऊ: मदरसों को अनुदान देने से पहले सरकार इनकी जांच करा रही है। जिनकी जांच रिपोर्ट सही पाई जाएगी, उनको ही इस बार अनुदान पाने वालों मदरसों की सूची में शामिल किया जाएगा। मदरसों में फर्जीवाड़े की आए दिन मिलने वाली शिकायतों के बाद सरकार ने यह निर्णय किया है। जांच का जिम्मा अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय को सौंपा गया है।

वित्त विभाग ने दी सह‌मति
प्रदेश में सपा सरकार बनने के कुछ दिनों बाद ही मुख्यमंत्री ने 150 मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करने की घोषणा की थी। वित्त विभाग ने इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने का सुझाव दिया। इसी के तहत चालू वित्तीय वर्ष में 75 मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करने का निर्णय किया गया। वित्त विभाग ने इस पर सहमति दे दी है। सरकार इस बात की तस्दीक कर लेना चाहती है कि जिन मदरसों को अनुदान सूची में शामिल किया जा रहा है, उनमें कोई गड़बड़ी तो नहीं है।
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इसलिए भी जरूरी है जांच
दरअसल, यह जांच इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इनमें कई ऐसे मदरसे भी हैं जिन्होंने वर्ष 2010 में भी अनुदान के लिए आवेदन किया था, लेकिन मानकों पर खरे नहीं उतरे थे। इस बार सपा सरकार बनने पर फिर वे अनुदान सूची में शामिल होने के लिए जुगत लगा रहे हैं। सरकार से मिले निर्देशों के बाद अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय स्तर पर बनी समिति मदरसों की जांच में जुट गई है।

निदेशालय की रिपोर्ट आने के बाद सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण स्तर पर बनी अनुदान समिति इन मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करने की सिफारिश करेगी। अभी प्रदेश में 459 मदरसों को सरकार अनुदान देती है।

एक पर सालाना 50 लाख का बोझ
अनुदान सूची में शामिल होने के बाद प्रत्येक मदरसे का सरकार पर तकरीबन 50 लाख रुपये सालाना का बोझ आता है। दरअसल अनुदानित होते ही मदरसों में 12 शिक्षकों के अलावा प्रधानाचार्य व दो कर्मचारियों के पद मंजूर हो जाते हैं। इनका खर्च सरकार उठाती है। 75 मदरसों को अनुदान देने से सरकार पर 37-38 करोड़ रुपये का भार आने की उम्मीद की जा रही है।

प्रबंधकों ने शुरू कर दिए ‘खेल’
जो मदरसे सरकार की अनुदान सूची में शामिल होेने जा रहे हैं, उनमें से कई मदरसों में ‘खेल’ शुरू हो गए हैं। मदरसा संचालक पुराने शिक्षकों को निकालकर नए शिक्षकों की भर्ती करने लगे हैं। भर्ती के लिए वे प्रति शिक्षक आठ से 10 लाख रुपये ऐंठ रहे हैं। शिक्षकों को भी लग रहा है कि एक बार रुपये देने के बाद आराम से सरकारी नौकरी मिल जाएगी। यही नहीं, छात्र संख्या में भी मदरसा संचालक ‘खेल’ कर रहे हैं।