लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सभी सरकारी व गैरसरकारी अस्पतालों के साथ नर्सिग होम को आदेश दिया है कि इलाज के बाद 72 घंटे में मरीज अथवा उसके परिवार के लोगों को इलाज के दौरान तैयार सभी दस्तावेजों को उपलब्ध कराएं। पीठ ने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेजों, प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिग होमों एवं क्लीनिकों के ऐसा न करने पर यह दंडनीय होगा तथा अस्पताल का रजिस्ट्रेशन भी निरस्त किया जा सकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति अशोक पाल सिंह की खंडपीठ ने याची समीर कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए हैं। पीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के नोटीफिकेशन के अनुसार नियम बनाए। अदालत ने कहा कि स्वस्थ रहकर जीवन जीना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। ऐसे नियम बनाए जाएं कि सभी अस्पताल मरीज के इलाज का ब्योरा सुरक्षित रखें तथा उसे इंटरनेट वेबसाइट पर भी जारी किया जाए। अदालत ने कहा राज्य सरकार दो माह में मेडिकल कौंसिल के अनुसार नर्सिग होम व अस्पताल चलाने व रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश व नियम कायदे बनाए तथा अदालत को अवगत भी कराएं। सुनवाई के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी लखनऊ पीठ के समक्ष उपस्थित हुए।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
याची समीर कुमार ने गोमतीनगर के एक निजी अस्पताल में अपनी मां का इलाज कराया था। इलाज के दौरान उसकी मां की मृत्यु हो गई। जब याची ने इलाज के कागज मांगें तो अस्पताल ने देने से इंकार कर दिया। अदालत ने याची को मां के इलाज के दस्तावेज देने के निर्देश दिए हैं। पीठ ने छह हफ्ते में सरकार से जवाब तलब करते हुए दो माह बाद याचिका को अगली सुनवाई के लिए नियत किया है।
मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया का नोटीफिकेशन
– प्रत्येक डॉक्टर व नर्सिग होम या अस्पताल तीन साल तक मरीजों का ब्योरा सुरक्षित रखेंगे।
-मरीज अथवा उसके घरवालों की मांग पर 72 घंटे में इलाज का पूरा ब्योरा उपलब्ध करा दिया जाएगा।
– रजिस्टर्ड मेडिकल पै्रक्टिशनर मरीज की भर्ती, इलाज उसके छोड़े जाने तक ब्योरा व रजिस्ट्रर मेंटेन रखेगा तथा मांगे जाने पर उसकी जानकारी देगा।
– यदि कोई डॉक्टर इलाज के दौरान मरीज को प्रमाणपत्र जारी करता है तो उसका भी ब्योरा सुरक्षित रखेगा।
– सुविधा व शीघ्र कागजात दिए जाने के लिए मरीज का ब्योरा कंप्यूटराइज होना जरूरी है।