FARRUKHABAD : फर्रुखाबाद का संगीत और नृत्य कला से भी बहुत रोचक इतिहास जुड़ा है। जिसके कुछ अंश इतिहास के पन्नों में दर्ज है। फर्रुखाबाद से ही उत्तर प्रदेश में नौटंकी की ख्याति फैल गयी। लेकिन आधुनिकता और विलासिता समाज पर हावी होती चली गयी। देखते ही देखते नौटंकी शहर से लुप्त ही हो गयी।
गुलाब बाई का नाम सुनते ही आज भी कई पुराने जानकार उसके घुंघुरुओं की घनघनाहट को दिमाग में ताजा कर देते हैं। बेड़िया जाति की बारह साल की एक मासूम लड़की गुलाब ने 1931 में नौटंकी की दुनिया में अपना पहला क़दम रखा। इतिहासकारों के अनुसार एक समय गुलाबबाई ने शहर में नौटंकी को एक नया आयाम दिया। दूर दूर से लोग गुलाब बाई की नौटंकी देखने आते थे। दरअसल गुलाबबाई के साथ एक और शक्स था जिसने गुलाब बाई के कदमों में अपने सुरों का जादू पिरोकर उसे मंच पर उतारा। वह नाम था त्रिमोहन का। गुलाबबाई और त्रिमोहन की जोड़ी ने नौटंकी के क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम कमाया। गुलाब बाई अपने गायन के लिए तथा त्रिमोहन नक्काड़ा वादन के लिए प्रसिद्ध थे। उनके इस अनूठे कलाकारी को तत्कालीन प्रदेश सरकार ने भी सलाम किया और गुलाब बाई को यशभारती सम्मान दिया गया। साथ ही साथ उपराष्ट्रपति ने भी गुलाबबाई को सम्मानित किया।
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वहीं उसे प्रदेश सरकार के साथ-साथ भारत सरकार से भी पदमश्री अवार्ड से नवाजा गया था। आज भी पुराने जानकार गुलाब बाई के नृत्य कौशल की तारीफ करते नहीं थकते। इसी के साथ-साथ फर्रुखाबाद नगर में लाला नत्थूलाल गुप्ता, अंधे राधेश्याम की नौटंकी कंपनियां भी प्रसिद्ध थीं। लेकिन अब यह सब कुछ इतिहास के पन्नों में ही सिमट कर रह गया है। न गुलाब बाई ठुमके लगाती है और न ही त्रिमोहन नक्काड़ा बजाते है। कला में अश्लीलता समाहित हो गयी है। विचारों में गंदापन आ गया है और लोगों का रुझान नौटंकी से ज्यादा अश्लील फिल्मों की तरफ झुक गया है। खासकर युवा पीड़ी।