आगरा। बीजेपी आज आगरा रैली में मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी विधायकों संगीत सोम और सुरेश राणा का सम्मान करेगी। इन दोनों विधायकों को मुजफ्फरनगर में दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पार्टी दोनों का सम्मान आज आगरा में होने वाली नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान किया जाएगा। ये दोनों ही विधायक फिलहाल जमानत पर हैं।
पार्टी का कहना है कि दोनों विधायकों का सम्मान इसलिए किया जाएगा ताकि पार्टी कार्यकर्ताओं को राज्य सरकार के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रेरणा मिले। पार्टी ने आरोप लगाया है कि दोनों विधायकों को पीड़ितों की बात करने के बदले फर्जी मामलों में फंसाकर जेल भेज दिया गया था।
इससे पहले नरेंद्र मोदी भी बहराइच की अपनी रैली में कह चुके हैं कि संगीत सोम और सुरेश राणा को फर्जी मामलों में फंसाकर बीजेपी को बदनाम करने की साजिश रची गई है। आपको बता दें कि संगीत सोम और सुरेश राणा को सितंबर में दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। संगीत सोम पर तो ये भी आरोप लगा था कि उन्होंने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर भड़काऊ वीडियो डाला।
सवाल उठ रहे हैं कि क्या दंगों के नाम पर बीजेपी सियासी फायदा उठाने की फिराक में है। क्या वोटों का ध्रुवीकरण करने की तैयारी हो रही है। आखिर बीजेपी दंगों के दागी नेताओं का सम्मान कर उन्हें नायक बनाने पर क्यों तुली है।
राणा और सोम मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी हैं। इस दंगे में करीब 70 बेगुनाहों को जान गंवानी पड़ी। कानून की भी इन्हें कोई परवाह नहीं रही, तभी तो पाबंदी के बाद भी भड़काऊ भाषण देते रहे। इन पर यूपी का सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का आरोप है। कानून की नजर में भले ही ये दंगों के आरोपी हैं, लेकिन अपनी पार्टी के लिए ये किसी हीरो से कम नहीं। यही वजह है कि बीजेपी अपने दोनों विधायकों का आज मोदी के मंच से सार्वजनिक सम्मान करने जा रही है।
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बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने कहा कि समाजवादी पार्टी की गुंडागर्दी के खिलाफ वो पहाड़ बन कर खड़े हुए। वो सचमुच अभिनन्दन के लायक हैं। वहीं विधायक सुरेश राणा ने कहा कि पूरा देश जानता है की बीजेपी के कार्यकर्ताओं को सपा ने योजनाबद्ध तरीके से मुजरिम बनाया था। मोदी जी के हाथों से सम्मानित होना बहुत बड़ा मौका है। मैं बीजेपी का सिपाही हूं। हमेशा अपनी भूमिका निभाऊंगा।
क्या है आरोप?
आरोप है कि संगीत सोम ने ही सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सांप्रदायिक हिंसा का झूठा वीडियो अपलोड किया था। इस वीडियो के प्रसारित होने के बाद ही मुजफ्फरनगर में दंगे भड़के थे। सोम पर भड़काऊ भाषण देने का भी आरोप है। सुरेश राणा को 20 सितंबर को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था। राणा पर भी दंगे भड़काने का आरोप है। दोनों के खिलाफ मामला अभी कोर्ट में लंबित है। सितंबर में हुए इन दंगों में 70 लोग मारे गए थे, जबकि 40 हजार से ज्यादा लोग बेघर हुए थे।
यूपी सरकार ने दोनों नेताओं पर रासुका लगाने तक की सिफारिश की थी। लेकिन कोर्ट की सलाहकार समिति ने इससे इनकार कर दिया। अब बीजेपी आज आगरा की रैली में दोनों को सम्मानित करेगी। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने जो रासुका लगाई थी और उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों की तरफ जो सेवा भाव दिखाया है, उसको ध्यान में रखकर मंच पर उसका स्वागत है।
बहरहाल, बीजेपी के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। एक तरफ पार्टी राम मंदिर जैसा विवादित मुद्दा छोड़कर विकास की राजनीति की बात करती है। वहीं दूसरी तरफ दंगे के आरोपी विधायकों का सम्मान भी कर रही है। दंगों के आरोपियों को नायक बनाने की कोशिश क्यों हो रही है? क्या बीजेपी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए वोट हासिल करना चाहती है? क्या विकास के दावे महज दिखावे के लिए किए जा रहे हैं? क्या यूपी में हिंदू-मुसलमान वोटों के ध्रुवीकरण का खेल शुरू हो चुका है?
समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव कहते हैं कि हमारी बात पर स्टांप लग गया कि ये लोग साम्प्रदायिकता की राजनीति करते है। हैं ये सच है कि इन पर से रासुका हटा है, लेकिन बाकी धाराएं हैं और ये लोग जेल जाएंगे।
बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी जानते हैं कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी से होकर जाता है। यूपी में अपनी सीटें बढ़ाने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। जहां तक वोटों के ध्रुवीकरण का सवाल है तो मुद्दा तभी से सुर्खियों में है जब मोदी के खासमखास अमित शाह को राज्य का प्रभारी बनाया गया।